________________
(१०३) बांटे मुफ तनु जाम॥ चेतन लहि जायं तदा, करे मुफ जनक ए काम ॥ ए॥
॥ढाल तेरमी॥ ॥ मुजरो व्योने हे जालिम जाटणी ॥ ए देशी ॥ ॥सांजलो पंथीमाहरा तातनी,कढुं करणी वली एक॥ पूर्व पण एक उतुं देग्नें, कीधो न्याय विवेक ॥१॥ श्रेयांसनाथ ग्यारमा, तेहने जे वारे कहाय ॥ पर जापति नामें राजवी, मिणवा राणी सुहाय ॥ २ ॥ सां० ॥ तेहनी कूखें पुत्री उपनी, पदमिनी रूप अ त्यंत ॥ अनुक्रमें थ नव यौवना, कामिनी काम ल हंत ॥ ३ ॥ सांग ॥ ते परजापति पुत्रीनू, दीतूं रूप सरूप ॥ जाण्यु ए फल बीजे जायशे, जोगवशे अन्य जूप॥४॥ सां० ॥ तो ए पुत्री माहरे राखवी, नहि देवं बीजे ए क्यांह ॥ पंचमें न्याय करावीने, परण्यो पुत्री उहाह ॥ ५ ॥सांग ॥ पंचनी सावं ए सही करूं, मेली परखदा सार ॥ जिम मुज लोकमें नवि दु वे, निंदा विकथा लगार ॥ ६ ॥ सांग ॥ श्म जाणी नृप तिणि वेलमां, मेलवी पंच समद ॥ पूछे परजा पति परजने, करो न्याय विचद ॥ ७ ॥ सां० ॥ जे बीज वावे वाडी खेतमें, ते ऋतुसमे फल देय ॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org