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(४६) उर्खन्न प्राणी तेता ॥अ॥३॥ खगपद गगन मीनपद जलमें, जो खोजे सो बौरा ॥ चित्त पंकज खोजे सो चिह्ने, रमता आनंद नौरा॥ ॥४॥
॥ पद अहावीशमुं॥
॥राग आशावरी।। आशा औरनकी क्या कीजे, ग्यान सुधारस पीजे॥आशा॥
ए आंकण॥
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