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( ३० )
परख न बूके कोय | ले दे वादी गम पडे प्यारे, और दलाल न दोय ॥ सा०|१| दो बातां जीयकी करो रे, मेटो मनकी प्रांट |
तनकी तपत बूकाइयें प्यारे, वचन सुधारस बांट ॥ सा० ॥२॥ नेक नजर निदारीयें रे, नजर न कीजे नाथ ॥ तनक नजर मुजरे मले प्यारे, अजर अमर सुख साथ ॥ ० ॥३॥
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