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(४) लगनी लागी रही जे. तो श्रावे समये संगीतधाराए लोकोनां हृदयने उन्नत करवां ए एक मुख्य कर्तव्य बे. तेने माटे प्रसिद्ध श्रयेला श्री आनंदघनजी तथा चिदानंदजी महाराजनां करेखां पदोनो संग्रह करीने यथाशक्ति शुद्ध करीने या ग्रंथ उपाव्यो . बा ग्रंथमा एकंदर पदो १७ आपवामां आवेला . तेनी अंदर ज्ञान,लक्ति, वैराग्य,धर्म,अध्यात्म, स्वानुजूत वगेरे श्रीयुत बन्ने पंमितोए पोतानी शुद्ध जावनाने प्रतिजाना प्रवाहमां एवी वहन करेली ने के जे वांचकने क्षणे क्षणे अपूर्व आनंदनी साथे प्रनुजक्तिनो घणोज उत्साह आपे
. आग्रंथ अगाउ मोटी साफमां जीणा अक्रमां उपावेल हतो. तेनी आश्रावृत्ति
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