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(ए) बूजें करकंडु राया॥जू॥२॥ इम चिदानंद मन मांदी, कबु करीयें ममता नांदी॥ सद्गुरुए नेदलखाया॥जू॥३॥ ॥पद पचासमुं॥राग सोरठ॥ ॥आतम ध्यान समान
जगतमें ॥ प्रा० ॥ साधन नवि कोज आन॥
जग ॥ए आंकणी॥ रूपातीत ध्यानके कारण,
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