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(२६) कनक नपल मल निन्नता काजे, जोगानल उपजावे दो ॥
ऐसी ॥२॥ एक समय समश्रेणी रोपी, चिदानंद इम गावे ॥ अलख रूप दोश्अलख समावे, अलख नेद एम पावे दो॥
ऐसी०॥३॥ ॥पद तालीशमुं॥ ॥राग काफीनी होरी॥ ॥अनुनव मित्त मिलाय देमोकू,
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