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(२५५) ॥पद तेत्रीशमुं॥
॥राग आशावरी॥ ॥मारग साचा को न बतावे॥ जासुं जाय पूीये ते तो, अपनी अपनी गावे॥मारग०॥
ए आंकणी॥ मतवारा मतवाद वाद धर, थापत निज मत नीका ॥ स्याद्वाद अनुनव बिन ताका, कथन लगत मोदे फीका ॥
मा०॥१॥
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