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(श्वन) ॥ पद जंगणत्रीशमुं॥
॥राग आशावरी॥ ॥ज्ञानकला घटनासी॥ जाकू झा०॥ ए आंकणी॥ तन धन नेह नहीं रह्यो ताकू, उिनमें नयो उदासी॥जा॥॥ हुँ अविनाशी नाव जगतके, निथे सकल विनाशी॥ एदवी धार धारणा गुरुगम, अनुन्नव मारग पासी॥जा॥२॥ में मेरा ए मोद जनित जस,
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