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( QQU )
चाल पंपाल सकल तज मूरख, कर अनुभव रस पान ॥
भू० ॥ १ ॥
यकृतांत गढ़ेगी इक दिन, दरि मृग जेम अचान ॥ दोयगो तन धनयी तूं न्यारो, जेम पाक्यो तरुपान ॥
नू० ॥ २ ॥
मात तात तरुणी सुत सेंती, गरज न सरत निदान ॥ चिदानंद ए वचन दमारो,
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