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(१७७) आनंदघन प्रन्नु इतनी विनति, आ नव पार उतारा॥ रिखना
॥४॥
॥पद एकसो बेमुं ॥राग काफी॥ ॥ए जिनके पाय लाग रे, तुने कदीयें केतो॥ए जिनके
ए आंकणी॥ आगे जाम फिरे मदमातो, मोदनिंदरीयाशुंजाग रे॥तुने
॥१॥
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