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वासतो वस्तु विचार ||
सहज विलासी दासी नवी करेहो, अविनाशी अविकार | अनं०1१1 ज्ञानावरणी पंच प्रकारनो दो,
दरशनना नव नेद || वेदनी मोहनी दोय दोय जापीयें दो,
आयुखं चार विवेद ॥ प्रनं० 1 | शुभ अशुभ दोय नाम वखा
पीयें दो,
नीच उंच दोय गोत ॥
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