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________________ आनन्द श्रावक 米米米米米米米米米米米米米※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※ 'चेइयाई' शब्द ही हो और उपासकदशांग का 'चेइयाई' शब्द भी स्वामीजी की मान्यतानुसार मूल पाठ का नहीं ऐसा पाया जाता है, तभी तो स्वामीजी समवायांग के मात्र 'चेइयाई' शब्द की ओर झपटे हैं? यद्यपि विजयानन्दजी उपासकदशांग में 'अरिहंत चेइयाई' शब्द स्पष्ट स्वीकार नहीं करते हैं तथापि इनके उक्त प्रयास से यह अच्छी तरह प्रमाणित हो गया कि उपासकदशांग में उक्त पाठ नहीं होने रूप सत्य इनको भी कुछ तो कबूल है ही और इसीसे समवायांग की ओट लेने का इनको मिथ्या प्रयास करना पड़ा। (ई) अब समवायांग में चैत्य शब्द किस प्रसंग पर आया है यह बता कर स्वामीजी के मिथ्या प्रयास का स्फोट किया जाता है। __ समवायांग में उपासकदशांग की नोंध लेते हुए बताया गया है कि उपासकदशांग में क्या वर्णन है ? जैसे - . से किं तं, उवासग्गदसाओ! उवासगदसासु णं उवासयाणं, णगराई, उज्जाणाइं, 'चेइयाई' वणखंडा, रायाणो, अम्मापियरो, समोसरणाइं, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइय परलोइय, इड्डिविसेसा, उवासयाणं, सीलव्वय, वेरमण, गुणपच्चक्खाण, पोसहोववास, पडिवज्जणयाओ, सुयपरिग्गहा, तवोवहाणाई, पडिमाओ, उवसग्गा, संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई पाओगमणाई, देवलोग गमणाई, सुकुल पच्चायायाई, पुणो बोहि लाभो, अंतकिरियाओ आघविजंति। अर्थात् - उपासकदशांग में क्या है? उपासकदशांग में उपासके के नगर, उद्यान, चैत्य, वनखण्ड, राजा, माता, पिता, समवसरण Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003679
Book TitleLonkashah Mat Samarthan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2002
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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