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घणां वर्षो पहलां प्रसिद्ध वक्ता श्रीमान् चारित्रविजय जी महाराजे मांगरोल बंदरे जनसमूह वच्चे व्याख्यान करतां कहेलुं के श्वेताम्बर जैन समाजना बे विभाग स्थानकवासी अने देरावासी १०० मां ८ बाबतों मां एक छे, मात्र बे बाबतो मांज विचार भेद छे तो ६८ बाबत ने गौण बनावी मात्र वे बाबतो माटे लडी मरे छे ते खरेखर मुर्खाई छे, तेमनुं आ कहेवुं हाल वधारे चरितार्थ थतुं होय ते जोवाय छे।
टुकामां श्रीयुत रतनलाल दोशी ने तेमनी स्थानकवासी समाजनी, अप्रतिम सेवा माटे फरीवार अभिनंदन आपी पोते आदरेल सेवा यज्ञ ने सफल करवा, तेमां आवता विघ्नो थी न डरवा सूचना करी स्थानकवासी समाजना मुनिवर्ग अने श्रावक वर्ग ने आग्रह भरी विनन्ती करूं छं के श्री रतनलाल डोशी ने बनती सेवा कार्यमां सहाय करवी, अने वधु नहीं तो छेवट स्थानकवासी जैनधर्मनी अभिवर्धा अर्थे तेनी सत्यता अर्थे तेमना तरफथी जे जे साहित्य प्रकट थाय तेनो वधुमां वधु फेलावो करवो, एक पण गाम एवं न होवु जोइए के ज्यां ए दोशीनां लखेल साहित्यनी २-५ नकलो न होय । हिंदी मां होय तो तेनो गुजरातीमां अनुवाद करीने तेनो प्रचार करवो ।
श्री रतनलाल जी डोसी ने तेमना समाज सेवानां कार्यमां साधन, संयोग, समय, शक्ति ए सर्वनी पूरती अनुकूलता मले एवी आ अन्तरनी अभिलाषा छे ।
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