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________________ ८६ द्रव्य-निक्षेप ******************************************, _(ई) जो वर्तमान में युवराज है भविष्य में राजा या सम्राट होंगे, वे सम्राट की तरह राजाज्ञा पर हस्ताक्षर क्यों नहीं करते। राज्य के अन्य जागीरदार, अधिकारी वर्ग आदि राजा या सम्राट तरीके उनको भेंट नजर आदि क्यों नहीं करते। वर्तमान युवराज को अधिकार सम्पन्न राजा क्यों नहीं माना जाता। तो यही उत्तर होगा कि उसमें भावनिक्षेप नहीं है। हाँ युवराज का भावनिक्षेप उसमें है, इससे इस पद के योग्य मान पा सकेगा, किन्तु अधिक नहीं।। ___ (उ) भूतपूर्व एबीसीनियन सम्राट रासतफारी और अफगान सम्राट अमानुल्लाखान पदच्युत होने से द्रव्य निक्षेप में सम्राट अवश्य हैं। उक्त पदच्युत सम्राट वर्तमान में सम्राट तरीके कार्य साधक हो सकते हैं क्या? जो थोड़े वर्ष पूर्व अपने साम्राज्य के अन्दर अपनी अखण्ड आज्ञा चलाते थे। जिनके संकेत मात्र में अनेकों के धन जन का हित अहित रहा हुआ था, धनवान को निर्धन, निर्धन को अमीर बन्दी को मुक्त, मुक्त को बन्दी कर देते थे, रोते को हंसाना और हंसते को रुलाना प्रायः उनके अधिकार में था, लाखों करोड़ों के जो भाग्य विधाता और शासक कहाते थे किन्तु वे ही मनुष्य थोड़े ही दिन में (भाव निक्षेप के निकल जाने पर) केवल पूर्व स्मृति के भूतकालीन भाव निक्षेप के भाजन द्रव्य निक्षेप रह जाते हैं तब उन्हें कोई पूछता ही नहीं, आज उनकी आज्ञा को साधारण मनुष्य भी चाहे तो ठुकरा सकता है, आज वे सम्राट नहीं किन्तु किसी सम्राट की प्रजा के समान रह गये हैं। इसी प्रकार भूतपूर्व इन्दौर तथा देवास के महाराजा भी वर्तमान मे पदच्युत होने से मात्र द्रव्यनिक्षेप ही रह गये हैं। इस तरह अनुभव से भी द्रव्य निक्षेप वन्दनीय पूजनीय नहीं हो सकता। इतने प्रबल उदाहरणों से स्पष्ट सिद्ध हो गया कि द्रव्य निक्षेप भी नाम और स्थापना की तरह अवन्दनीय है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003679
Book TitleLonkashah Mat Samarthan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2002
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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