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________________ ७९-८० ८०-८१ ८५-८४ राक्षस वंशोत्पत्ति कथा, वानर वंशोत्पत्ति कथा; नवम संधि : कविट्ठखादन कथा, रावण दस शिर कथा, दधिमुख और जरासंघ कथा, पौराणिक कथाओं की समीक्षा, धर्म का महत्व, दसम संधि : कुलकर व्यवस्था, तीर्थंकर ऋषभदेव और संस्कृति संचालन, पवनवेग का हृदय परिवर्तन, श्रावकवत; ग्यारहवीं संधि : श्रावकवतों का फल, रात्रिभोजन कथा, अतिथिदान व्रत कथा; लेखक प्रशस्ति. ५. कथावस्तु का महाकाव्यत्व, भाषा और शैली ६. मिथकीय कथातत्व तथा कथानक रुढियां७. वैदिक आख्यानों का प्रारूप मण्डप कौशिक कथा, तिलोत्तमा कथा, शिश्नश्छेदन कथा, खरशिरश्छेदन कथा, भागीरथी और गांधारी कथा, पराशर ऋषि और योजनगंधा कथा, उद्दालक और चन्द्रमती कथा, रावण की दशानन कथा. ८. जैन पौराणिक विशेषतायें दधिमुख और जरासंघ कथा, निजन्धारी कथायें, जैन साहित्य में रामकथा, दोनों जैन परम्पराओं में भेदक तत्त्व, वैदिक और जैन परम्परा में कुछ मूलभेद, जैन परम्परा की कुछ मूलभूत विशेषतायें - यथार्थवाद, मानव चरित्र, भ्रातृत्व भक्ति, जैनत्व ९. समसामायिक व्यवस्था १०. जैनधर्म और दर्शन आप्तस्वरूप, श्रावकव्रत ११. धम्मपरिक्खा का व्याकरणात्मक विवेचन १. खण्डात्मक स्वनिम विचार- स्वर विवेचन, स्वर विकार, व्यञ्जन परिवर्तन और विकार तथा उनके उदाहरण, समीकरण, संयुक्त व्यंजन परिवर्तन, २. अधिखण्डात्मक स्वनिम विचार । शब्द साधक प्रणाली, पूर्वप्रत्यय, परप्रत्यय, समास, रूप साधक प्रणाली, सर्वनाम, विशेषण, अव्यय, संख्या वाचक शब्द, संख्यावाचक विशेषण, तद्धित प्रत्यय, किया रूप ९४-९५ ९५-९६ ९७-११० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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