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घत्ता- महु पियरहरुप्पण्णउ कज्जलवाणउ सुण हु वीसणहु सण्णिउ ।
एसइ तुह हक्कारउ चाडुयगारउ जो जणि मणुउ मण्णिउ ॥१३।।
इय भणियम्मि णायसिरि सई गय ठाहु भणिवि णाय सिरिय भत्तिए विविहाहारु दिण्गु भयवंतहो णायसिरिए सिरिहि हक्कारउ ताए कढंति तिल्लि सित्तउ अइडहिं विल्लंतमरंतहो त मुउ जणहो जणेण जि साहिउ मंतपहावें सो सुरु हुउ तक्खणि जहि सिरिवइ परतीरए तहि जलजाणुअ मग्गि लग्गउ
अवरहि दिणि मणिचरिए समागय । पुज्ज करेवि अट्ठविह भत्तिए । णीरसु सरसु सरिसु भुंजतहो । पेसिउ सुणहु अमंगलगारउ । किं कियंतु पंगणि संपत्तउ। 5 दिण पंच पय णायसिरि एंतहो। अंतराउ ता मुणिहि पसाहिउ । अवहिए मणिउ रोण भउ जिह मुउ । तहि संजाय पयंड समीरए । कहव कहव पुण्णेहि ण भग्गउ । 10
घत्ता- तं पि अवहि आऊरणि णिय भव सुमरणि चित्ति फुरिउ तओ अमरहो ।
सुरभवि पाव णिरंजिउ ते गमु सज्जिउ णायसिरिहि उवयारहो ॥१४॥
(15)
जहि पसाएँ हउ सूरू जायउ जहि पसाएँ महु वउ जायउ। जहि पसाएँ हउ अमयासणु जहि पसाएँ मउडमणिभूसणु । तहो भत्तारहो आवइ वट्टइ
उत्तम किउ उवयारु ण लोट्टइ। तो वा तहो उवसग्गउ विणासमि सामिणि सामिहि विणउ पयासमि । इय चितंतुं अमरु वरु जाणे गउ वणिपसि पवण जण जाणे। 5 तहो अग्गइ विणएण पयंपिउ । हउँ तुम्हह उवसग्गि कंपिउ । कि ण सुणहु णियघरि जो जाणहि सो एवहिं मई सुरु अहिणाणहि । पचणमोंकारइ मरंतहो
दिण्णइणायसिरिए सुमरंतहो । तहो फलु जं सुत्तु मइँ लद्धउ तं सामिय तुह पिय पडिवद्धउ। इय संबंध असेसु भणेविणु जल जाणु वि तरिए आणेविणु। 10 (14) 2.b हा हुँ, a भणिय, bणायसिरि, 3.b भयवंतह णिरसुसरिसुसरि भुजंतह,
4.b सुणहुं, 5.a किक्कि यंतु, 6.b • मरंति, a णायरिरिएतहो, bणायसिरिति, 7.b मओ, b वि for जि, 8.a सोर for सो, b वि तरु for सो,, b हुउ, 9.a जिहि, b सिरिवई, 10.b तहो मणि for मग्गि, 11.b भउ, 12,b ति गमु सज्जिउं ।
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