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________________ एत्तहि तक्खाणि मंदिरि पत्तहि मग्गिओ भोयण धणवइ पुत्तहि । ताए भणिउ णिसि ण भुंजिज्जइ पुत्त महारओ क्यणु सुणिज्जइ । घस्ता- वालत्तणि जं दिट्ठ मइ णिसुणि पुत्त तुह दरिसमि । भोयणुर यणिहि वज्जियउ तं हउ तुहि अक्खमि ॥३॥ (4) पुणु धणवइ णियपंदणु पवुत्तु पायड वियाणु संपय सजुत्तु । रहणेउरपुर तहि वसइ लोउ उवमिज्जइ तासु ण सग्गलोउ । तहो गयरहो वाहिरु अइखण्ण सररामविहारइ घणसउण्ण । गोयरविचित्त पायारतुंगु तहो केण वि ण किउ कयावि भंगु । चउहट्ट मग्ग अइसोहमाणु देउलइ तुंगु अइअप्पमाणु। 5 जहि मंगलु णत्थि सोउ जम्महि वि ण दोसइ तहि विओउ । अवरु वि तहि पुरवर अस्थि चोज्जु परुपरहो ण केरउ मुणइ खोज्जु । जणसंकुलु पुरबरु सोहमाणु पइ सारु प तहि पुरि लहइ पाणु । घस्ता- पर एक्कु वि तहि दोसु जिगधम्म वि ण मुणिज्जइ । बिसयासत्तउ लोउ पसु जंगलु भक्खिज्जइ ॥४॥ 10 (5) कोरटक्कु तहि परवइ पयंडु रिउसिलसिहरिण वज्जदंडु । तहो केरउ जो ण वि करइ वयणु पुणु दरिसइ तहो णित्तुल उ मरणु । पय पालइ तहो गुण इआ महंतु परतिय परिहरइ सुसत्तवंत्तु । तहो रूव अवरु ण उ को वि दिठ्ठ वसुए वहि अवइण्णु विठ्ठ । तिय पंचसयइ वहु कणयमाल सोहग्गवंत अइगुणविसाल। 5 (4) 1.b धणवई. b कित्तु for पउत्तु b वरपडु विलास संपय विउस्तु for पायउ etc. 2.b वसई लोउं उवमिज्जइं, a सग्गि, b सग्म लोउ, 3.a णयरहि वाहिर, a ०वण्णु, b वणु 3.b after सर स, omits म विहासहि etc. चउहट्टमग्ग, 4.a तुंग, a अइंसोहमाण, 5.a देउलउं त्तुंगहि अप्पमाणा, 6.a & b. after अप्पमाणु, adds धणकणसमिद्ध तहि वसइ लोउ, b वसइ, b. omits जहि मंगलु णत्थि सोउ, b जम्महं वि ण दीसइ जहि विओओ, 7.a अवर वि, b पुरवरि, b चोजु, b केरउं b पोजु, 8.a जणसंकुल, b पई, b लहई, 9.b धंम्म, b मुणिज्जइं, 10.a सुर आसत्तउ, b लोउं; b भक्खिज्जई। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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