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घत्ता - असहिय दुसह परीसह छड्डिय तवकह कंदमूलफल गिण्हहि । जाते यल कुलिगिय गयउल्लिगिय गयणि वाणि आयणहि || ३ ||
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रिसिरूउ लेवि तइलोयचंदु जइ णत्थि सत्ति वयभंगउ पाउ सिरिरूवें जं संचियउ पाउ ता कच्छमहाकच्छाहिवेहि अवरहि वक्कलदलपिच्छणित्थू भरसुय मरीएँ पंचवीस दिक्खिय तं दंसणु संखु जाउ चितेवि लच्छिफलु पत्त दाणु इविवि णाणाय धण्ण परिहरिय जेहि मुणिउ सचित्त रयणत्तयलंछण वंभसुत्त
पाणापरिहाइ भूसणाइ
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तो ते भणिय भरहेण जेम जिह भरहहिं तिह वहु णरवरेहिं अइ वहु कालए तव्वंस जाय चितंति एम दपिट्ठ दुट्ठ परियाणिय णाणासत्यअत्थ सम्मत्त रहिय इय मंदभग्ग व णायति भुंजंति भोय एक्कहि दिणि णरवइ दाणकंख परियलिय रय समयम्मि जाम
आढविउ काइ इउ कम्मुणिदु । परिहरहु झति णिग्गंथभाउ । जगि णत्थि तासु णिज्जरउवाउ । तणु धूलिउ सह कवय णिवेहि । जाउ म पासंडिसत्थु । तच्चाइ कवि कविलाइ सोस । एत्तहि महि साहिवि भरहराउ । तें पत्तु परिविख गुणणिहाणु | अत्थाणमग्गे अंकुर विभिण्ण । उत्तम सावय ते मणुय वृत्त कणयमय तिसर तहु कंठे खित्त । दिण्णइ गिहकंचण सासणाइ ।
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घत्ता - पुणु वड्ढिय अणुराएँ पभणिउ राएँ जिणु थुणंत वयसंजय | जिणपरमागम भावहो मुणिपयसेवहो एहु सुज्झाणगुणेण जय ॥ ४ ॥
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थिय सयल धम्मु भावंत तेम | परिपुज्जिय कयपुण्णाय रेहि । जिण धम्मसिढिल मिच्छाणुराय । अम्ह णरिद वंदियग रिट्ठ । लोयाग्गह णिग्गह समत्थ । किम्मु मुवि उम्मग्गलग्ग । कुलगव्वे अवमाणंति लोय । मिलिऊण सयल पोसिय णियकंख । गच्छति कहि मि वणि महिसु ताम ।
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( 4 ) 1. b काई, 2. a परिहरह, 4a तो for ता, boहिवेहि, b सहुं, b णिवेहि, 5.a संजाय, 6. b तच्चाई, b कविलाई, 7.b भरहु, 9a धम्म for धण्ण, 10.b जेहिं मुणिउं, 12 b परिहाणई भूसणाई दिण्णई, b सासणाई, 13.a पभणियं, a वयसंजयं, 14 b होहु for एहु, a सुज्झाणु गुणेज्जय ।
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