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________________ ११२ अद्धोद्धी जायउ सयलु सेण्णु विडभडहो सत्त अवखोणहीहे सत्तहि सुहु खलगल कालपासु ससिकिरणे वालिहि णंदणेण उच्चइ जइ ठुक्कहु मरहु अज्जु दइवें सुग्गीवही पुण्णु भिण्णु। ___ सहु मिलिउ अंगु अरिखोहणीहे । अंगउ पुणु थिउ सुग्गीवपासु। तारा रक्खिय रिउमहणण। जो जिणइ सतारउ तासु रज्जु । 10 घत्ता- ताणंतरि भिडियइ वलइ रणि मंतिमंतु तामंतहि । जुज्झउ अवरुष्परु विज्जवलु कि विहियहि सामंतहि ॥१९।। ता मूल णराहिव अभिडिया दोहिमि चिरु गुरु संगामु जाउ अवमाणिउ ति सुग्गीवराउ एत्वंतरि खरदूसणु वहेवि अच्छइ जहि राहउ हियकलत्तु पणवेवि रामु ति भणिउ एव ता पुच्छिउ वइयउ राहवेण विड सुग्गीवें एयहो कलत्तु संपत्तु एहु सूररयउ जाउ । तुम्हहँ पयाउ जाणिउ अणेण (20) ज वेवि करि दसमावडिया। सहसगइ वि वहु विज्जासहाउ । हिंडइ वणेण वणु णठच्छाउ । सत्तु विराहिउ णिउ करेवि । पायाललंकं सुग्गीउ पत्तु । हउँ तुम्ह सरणु अणुसरिउ देव । एत्यंतरि वोल्लिउ जंववेण । अवहरिउ रज्जु ति कलिमलंतु । सुग्गीउ कयद्धय खयरराउ । जं खरदूसण हयलक्खणेण। 10 घत्ता- परितायहो जा विवरीय मई पियविरहेण ण किज्जइ । परकज्जु सकज्जहो अग्गलउ उत्तमणरहि गणिज्जइ ॥२०॥ (19) la इकहि, 2.a करिउण, 4a उग्गापुराउ, 5.5 जुयल, b जाणिउ, 6.b सेणु, a देइवें, 7.a oभडह, a अक्खोहणीहि, b सहुं. a अरिखोहणीउ, 8.b सत्तहिं सउं, 10.b जिणई, 11.b भिडियई वलई, b तामंतहि, 12.a बुज्झहु, b जुज्झउं, b वहियहि । (20) 1.b तो, णराहिया, 2.ba दससयगइ बहु, b सहसगई, b विज्जासहउ, 4.a खरदूसण, a तहि, b विराहिउं णिलं, 5.b अच्छई जहि राहउं, a कलत्त, 6.bति भणिउं, a हउ, a अणुसरणु, 7.a खगवरु for वइयरु, 8.a रज्ज ते कलमलंतु, 9.b सूररय, b कियधय, 10.a तुम्हहं, b पयाउं जोणिउ, 11.a fण for ण, 12.a परकज्ज, b अग्गलङ, b गणिज्जइं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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