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________________ तह सयारि सहसरि पसिद्धहो आणयाइँ उवरिम चडकप्पहि तहि पुणु सउ पयारहि अहियउ उवरिम तिहि गइ वेयहि साहिय अणुदिस णव पंचेव अणुत्तर कप्पुवण्ण कप्पवासिय सुर कय वालतव अकामियणिज्जर दिढसंमत्तसील कय तव णर छह जि सहास विमाणहं रिद्धहो । सत्त जि सयइ विविहमाहप्पहि । तहि मिलिवि सउ सत्तहि सहियउ । 5 हवहि णवइ विमाणएक्काहिय । एय जिण भणहि तिलोय महत्तर । कप्पातीदहमिद सुभासुर। तह सरायसंजम वयजज्जर । सुहकम्मे उप्पज्जहि तहि सुर। 10 घत्ता- चउरासीलक्ख सत्तणवइसहस हिय । तेवीस विमाण एक्कहि मेलिविणु कहिय ।।८।। (9) चारुसुवण्ण भित्तिरुइरम्मइँ णाणामणि कलसावलि सारइँ चंदकंत भा भासिय गयण पंचवण्ण मणिगणमयदार मरगयफलिहणीलवरसाल विविहालं विकुसुमसुमालइँ दिणयरकोडिपडिमजिणबिंबइँ णट्टसालगोउरसिहरालइ दुंदुहिसरभरंतदिव्वलय. भवियविद पारंभिय ण्हवण वरउतुंगसिहए वहु भूमइँ विदुममयविमाणमलसारइँ। सूरकतपडियरविकिरण। टणगणंत घंटा टंकार। झणझणंत धुकिकिणिजालइँ। 5 सुरणिकाय क यथोत्त व मालइँ। भवणिवडंत भवियणालंव। जलरुहछण्णतलायविसालइ । उववणपरिभमंतसुरविलय । अत्थि अकित्तिमा जिणभवण। 10 घत्ता-सुरलोह इमाइ गिह विमाणभवणइँ मुणहि । महियलि अडवण्ण चउसया’ संखए गणहि ॥९॥ (8) 1.a तरबाअइ, b वरसई, b समुदाइय पंचासहासई, 2.a सुक्के महसुक्के विमाणहु, b चालीसा सहास, a माणहु, 3.a पसिद्ध उ, a विमाणहु, रिद्धहु, 4.a आणआइ, b चउकप्पहि, b सई for सयइ, 5.a तिहि, b सउं पयारहं अहियउं, a तहि, a विहियउ for सहियउ, 6.b गई, a वेयहि is explained as जिनैः कथिता in margin, 7.b भण तिलोया, 8.b कप्पुववण्ण, b सुभासुभर, 10.b ०समत्त, b सुहफलेण उप्पज्जहि त्तहि, Il.b सत्ताणवइ सहस अंहिय, 12.b विमाणण । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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