________________
तो वरिसं भासमि एह णारि कि माणहि दूसहविरहमारि । ता हुउ संकरु संकरु कुमारु पच्चक्खु णाइँ ससरीरु मारु । घोल्लाविय एरिसु जोवणेण किं णिज्जणेण सेविय वणेण । कि तणुलायण्णे दुल्लहेण
जं णउ मागिज्जइ वल्लहेण । गंगाए ताम खलिय क्खु राए वोल्लिउ अणुराएँ मह गिराए। 5 हउ कण्ण ण परपइ अहिलसेमि सुहु कीलती काणणि वसेमि । हरु पणिइ हउ मि अच्छमि कुनारु जोग्गा ण जोग्गु संसारसारु । इय वयणहिं गंगए साहिलासु अप्पाणु समप्पिउ संकरासु । सुरयम्मि जाए पुणु णियघरेण पुच्छिय कंता जं तें हरेण । आरुहमि उवरि महु णिलउ जेत्थु आवेसमि हिगि दिणे मुद्धि एत्थु । 10 सइ काइ गंग संकरु ण णेइ सव्वु वि कयत्थु सीयलु हवेइ । गए पिए तहे णिग्गयणीससाहे रणरणउँ लग्मु जाणियरसाहे।
घत्ता- अणमग्गें दइयस्स सा गय जा कइलासहो।
गउरिए पुच्छिय ताव पेच्छिवि पच्छइ ईसहो ॥९॥
(10)
का त्वं संदरि जान्हवी किमिह ते माहरो नन्वयं । अम्भस्त्वं किल वेदिम मन्मथरसं जानात्ययं ते पतिः । स्वमिन्सत्यमिवं नहि प्रियतमे सत्यं कुतः कामिनां ।
इत्येवं हरजाम्बी गिरिसुता संजल्पनं पातु वः ॥१॥ अह भणहिं कते गुणगणमहंतु सुय थावणियाहे जोग्गउ अणंतु। 5 सुण ते ण रमिय जिह गोवरमणि लोयणसलोणउम्मत्ततरुणि । कज्जे ण कहेवि गच्छंति दिट्ठ हरिहियए मयणवाणु व पइट्ठ । जणसंकुलु गोउलु रण्णु गाउँ । पियमाणुसु जहि तहिं चित्तु जाइँ । परियणु सुहोहि सई होइ दासु ण सुहाइ कि पि मयणाउ रोसु। तिहुयणमोहणु मोहियउ ताए गोविए पं मोहणबल्लियाए। 10
17a तहिखव पेच्छेइ, a हउ, a मुणिवि for णिएवि, b तं for तें, 18.a चितेइ इह तणिय कह कण्ण, b उव्वसहे णउ, b कण्ण for अण्ण, 19.a ०पलित्तइ, 20.a जहि. Note : मण्डपकौशिक may be the name of विश्वकर्मा ऋषि whose daughter was छाया, the wife of Agni. See the story - भागवतपुराण, मत्स्यपुराण, वायुपुराण etc. For गंगा, see वायुपुराण (42.39-40). महाभारत आदिपर्व, 210.11-18.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org