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________________ (10) 5 जहिं गिरिवर रेहइ णं सायर सज्झसविद्दुमबहुरयणायर । तीरि णीउ णावइ वररमणिउ कुडिलउ मंथरगइउ सुररमणिउ । मोत्तियहारसुत्ति पयडंतिउ पुलिणणियंवविव सोहंतिउ । जहि गोवलहिं गोविमंडलियउ रासु रमहि जोव्वणमय ललियउ । छित्तइ णाणासाससमिद्ध जहिं उववणई कुसुमफलरिद्धइं। वयकारंडहंसपरिपुण्ण जहि सरवरई भिसिणिदलछण्णइं। गोमंडलमंडियसीमंतई गामइं बहधणकंचणवंतई। जहि गोउरपायाररवण्ण णयरइं णायरणरपरिपूष्णइं । घत्ता- तहि उज्जेणि णाम वरणयरि मणोहर दिट्ट । अमराउरि व विहइ जा विवुहयणह मणि? ॥१०॥ 10 (11) णाणाके उपंतिध्वंतिउ जहि णहलग्गउ सुरहरगतिउ । सवणसहरि करिकंचणमयघर जहि सोहंति णाई सुरमहिहर । गुरुविणयाणुगामि ण य जिणवर जत्थ भव्व णर पवरामर । जहि रइकरणालिंगणकोच्छर सयल वि तिय णं मणहर अच्छर । वहुचंदणभुयंगकयराइय णं मलयायल अडइ विराइय । 5 सरयरणयणायरवेलाइ व वहु पयसावणघणमालाइव । चउवण्ण सयसुर धणुदित्ति व पंडुर दीसइ तिणयण मत्ति व । सकलसजिणअहिसेयपवित्ति व सब्बसुहं करिमुणिवइवित्ति व । घसा- तहि उत्त रहे दिसाइ माणसवेउ खण्णउ । उववणु झत्ति णिएइ णाणातरुसंछण्णउ ॥११॥ 10 (10) 1.a जहि, b सझससविद्दुम०, 2.b वररमणिउं, a मंथरगइसुर०, ___b सुरमणिउं, 3.a •णियंबबिब, 4.b omits the line जहि गोवहिं . . . ललियउ, 5.b छेत्तई, a समिद्ध इ, a उववणइ, a रिद्ध इ, 6.a oपुण्णइ जहि सरवरइ, a °छण्णइ, 7.a ०सीमंतइ गामइ बहुकणकंत्रणवंतइ, 8.a ०पायारवण्णइ णयरइ, a ०णरसंपुणइ, 9.b तहिं, b वरणयरिं, 10.b अमरावरि, b विवुहयणमणिट्ठ । (11) 1.b जहि, a णहिलग्गउ, 2.b जहिं, 3.b पररमर, 4.b जहिं, b सयलं, b inter. णं and मणहर, 5.b ०भुअंग, a ०कइराइय, b मलयाणिलभूवणराइय, 7.b ० हुत्ति for दित्ति, 8.b सव्वं, b मुणिवरवित्ति, 9.b तर्हि, b दिसाहे माणसवेडं, 10.a णिएवि, b तरुवरछण्णउ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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