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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
मगर यह दूरी वृत्त के अनुसार कुछ कम ज्यादा होती रहती है । इस वृत्त पर एक दफा घूमने में चन्द्रमा को २७ दिन ७ घन्टे ४३ मिनट और ११३ सेकिन्ड लगते हैं । खगोल वर्ती पिन्डों में चन्द्रमा हम से निकटतम है । चन्द्रमा स्वयं प्रकाशवान पिन्ड नहीं है, पृथ्वी की भांति यह भी सूर्य्य से प्रकाश पाता है । सूर्य की किरणें चन्द्रमा पर पड़ती है, फिर शीशे की भांति उस पर से वापिस आकर पृथ्वी पर पड़ती हैं जिससे स्निग्ध मनोहर चाँदनी छिटक जाती है । चन्द्रमा घूमते घूमते जिस वक्त पृथ्वी और सूर्य के बीच में आता है, तब हम उसे देख नहीं सकते क्योंकि जो भाग सूर्य के सामने हैं वह हम से छिपा रहता है और यही अमावश्या है । जिस वक्त चन्द्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो चन्द्रमा दिखाई पड़ता है । हम सदैव चन्द्रमा का आधे से कुछ अधिक भाग यानी ५६ % भाग देख पाते हैं । चन्द्रमा पृथ्वी की तरह अपने अक्ष पर भी घूमता है और पृथ्वी की परिक्रमा भी करता है। यह दोनों घुमाव करीब एक मास में समाप्त होते हैं चन्द्रमा के पृथ्वी के चारो और घूमने के कारण ही ग्रहण होता है । चन्द्रमा जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है तो सूर्य ग्रहण होता है और जब चन्द्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो चन्द्र ग्रहण हो जाता है । चन्द्र ग्रहण सब जगह एक सा दिखाई देता है, कहीं कम और कहीं अधिक नहीं; मगर सूर्य्य ग्रहण सब जगह दिखाई नहीं देता कारण जिन देश वालों की दृष्टि के सामने
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