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३६ जैन शास्त्रों की असंगत बातें ! का वर्णन करके यह बतलाने की चेष्टा करूँगा कि जैन शास्त्रों में इस सम्बन्ध में क्या क्या कहा गया है और वर्तमान विज्ञान में क्या क्या ?
'तरुण जैन' सितम्बर सन् १९४१ ई० खगोल वर्णन : ग्रहण विचार
गत मई से 'तरुण जैन' में मेरे लेख लगातार निकल रहे हैं। इन चार महीनों के लेखों में जैन शास्त्रों में वर्णित कतिपय विषय, जो कि प्रत्यक्ष के मुकाबिले में सत्य साबित नहीं हो रहे हैं, मैंने प्रश्नों के रूप में समाधान के लिये जैन जगत के सामने रखे थे। मगर खेद है कि अभी तक समाधान के रूप में किसी का उत्तर प्राप्त नहीं हुआ। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, कलकत्ता की तरफ से श्री छोगमलजी चोपड़ा के सम्पादन में निकलने वाली विवरण-पत्रिका के गत जुलाई के अंक में “जैन सिद्धांत और आधुनिक विज्ञान' शीर्षक एक लेख मैंने पढ़ा जिससे स्पष्टतया तो यह मालूम नहीं होता कि श्री चोपड़ाजी ने मेरे ही लेखों को लक्ष्य करके उक्त लेख लिखा है परन्तु अनुमान यही होता है कि सम्भवतः मेरे ही लेखों
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