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भगवान् का अभिषेक तथा धर्म-प्रचार आदि कार्यक्रम होते हैं । यहाँ पर त्यागी आश्रम एवं धर्मशाला की आवश्यकता है।
मयिलापुर :- यह चेन्नई शहर का एक हिस्सा है । पूराने जमाने में यहाँ नेमिनाथ भगवान् का एक मन्दिर था । 'अविरोधि आलवार' नाम के व्यक्ति पहले ब्राह्मण थे और बाद में वे जैन बने । उन्होंने भगवान् की भक्ति में लीन होकर, उनके गुणों का वर्णन करते हुए 'तिरुनूट्रन्दादि' नाम के ग्रन्थ की रचना की थी। वह ग्रन्थ उपलब्ध है। भक्ति से ओतप्रोत अद्भुत ग्रन्थ है। जैन लोग उसका पारायण करते हैं । इसके अलावा 'मयिलापुर पत्तुपदिकं' मयिलापुर नेमिनाथ स्वामी पदिकं आदि ग्रन्थ भी है। ये सभी नेमिनाथ भगवान् के गुणगान पर आधारित है।
पहले नेमिनाथ भगवान् का मन्दिर मयिलापुर में था । जहाँ आजकल मयिलापुर के समुद्र के किनारे ईसाई सान्थोम चर्च है । एक जमाने में यह मन्दिर समुद्र के तूफान से डूब जायेगा, इस डर के कारण भगवान् की मूर्ति को ले जाकर मेलचित्तामूर में विराजमान कर दिया गया था। वह अतिशय मूर्ति आज भी मेलचित्तामूर में विराजमान है । इस बात को एक शासन के द्वारा जाना जाता है । इससे नेमिनाथ भगवान् और मन्दिर की बात निश्चित हो जाती है। उक्त स्थान पर यानि चर्च के आसपास जैन मूर्तियाँ थी। उन्हें उठाकर यत्र-तत्र भूमिगत कर दिया गया है ।
मयिलापुर के नेमिनाथ भगवान् के ऊपर 'नेमिनाथ' नाम के ग्रन्थ की रचना हुई थी। नन्नूल नाम के व्याकरण ग्रन्थ के व्याख्याता मयिलैनाथर का निवास स्थान भी यहीं था। कुछ जैन मूर्तियाँ पादरी के घर में है और कुछ अन्य लोगों के घरों में है । इस तरह यहाँ एक जमाने में वहाँ ख्याति प्राप्त विशाल जैन मन्दिर था किन्तु आजकल वहाँ नामोनिशान भी नहीं है ।
देसूर :- यह छोटा सा शहर है । पोन्नूरमले से २० कि.मी. पर है। यहाँ आदिनाथ भगवान् का मन्दिर है। यहाँ पर जैनों के आठ-दस घर है । मन्दिर में धातु की प्रतिमाएँ भी है । धर्मचक्र है, शासन देवताओं की मूर्तियाँ हैं किन्तु मन्दिर की व्यवस्था साधारण है । मन्दिर में जीर्णोद्धार कार्य हो रहा है। महासभा ने अनुदान दिया है।
तेल्लार :- देसूर से ६ कि.मी.पर है। यह एक प्राचीन गाँव है । यहाँ एक जैन मन्दिर है। मूलनायक महावीर भगवान् है । धातु की मूर्तियाँ भी है । मन्दिर शिथिल हो गया था, अब जीर्णोद्धार हुआ है। यहाँ दस जैन परिवार है। प्रचार न होने के कारण श्रद्धा-भक्ति कम है। महासभा ने अनुदान दिया है।
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