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पर था, न जाने वह जिंजी के पास मेलचित्ताईमूर में कैसे पहुंच गया ? अराजकता के कारण यहाँ से वहाँ जाकर बस गये होंगे। यहाँ चन्द्रप्रभ भगवान् का पुरातन जैन मन्दिर है। इसके चारों ओर कपास की खेती है । कपास को तमिल में 'परुत्ति' कहते हैं । तिरु गौरव का शब्द है । शायद इसी कारण से इस गाँव का नाम तिरुपत्तिकुन्द्रं है। इस पुरातन मंदिर का शिखर टूटा पड़ा है। यह मन्दिर आर्किलोजिकल डिपार्टमेंट के अधीन है।
अब इस गाँव में एक ही श्रावक का घर है और एक पूजारी का है। इस मंदिर की चार सौ एकड़ की जमीन थी। सब नष्ट-भ्रष्ट करदी गई है। कुछ लोगों ने हड़प लिया है। सारे गाँव की जमीन मन्दिर की है परन्तु अजैन लोगों ने उस पर कब्जा कर लिया है।
यहाँ तीन मंदिर है जो भगवान् आदिनाथ, पार्श्वनाथ और महावीर के हैं । एक ही परकोटे के अन्दर ये तीनों मंदिर हैं । यहीं पर धर्मदेवी (कूष्माण्डिनी) का पीठ भी है । कई धातु की प्रतिमाएँ हैं । कुआं है। 'कोरा' नाम के पेड के पास दो पीठ है। ये दोनों मल्लिषेण आचार्य और पुष्पसेन आचार्य के बताये जाते हैं । यह एक पवित्र, शांत और मनोहर स्थान है । वर्तमान में यह सरकार के अधीन है।
प्रारंभ में गोपुर द्वार है तथा संगीत मण्डप है , इसमें सैकड़ों लोग बैठ सकते हैं । यहाँ से करीब-करीब दो फलांग पर ५ समाधि स्थान है जो कि भग्नावशेष के रूप में विद्यमान है। ये किन्हीं मुनिराजों के समाधि-स्थल है।
मागरल :- यहाँ आदिनाथ भगवान का मंदिर है। यहाँ के अजैन मंदिर में दो जैन प्रतिमायें हैं। शैव भक्त तिरुज्ञान के द्वारा एक जमाने में जैनी लोगों को यहाँ से भगा दिया गया था । यहाँ का जैन मंदिर भग्नावशेष है । यह आरपाक्कं से करीब दो किलोमीटर दूरी पर है। वर्तमान में यहाँ कोई जैन परिवार नहीं है।
आरपाक्कं :- यहाँ आदिनाथ भगवान का जैन मंदिर है। यहाँ भगवान् को आदि भट्टारक भी बोलते है। यह बहुत प्राचीन है। यहाँ सिर्फ पुजारी का घर है। यह जैन मंदिर केशरियाजी के समान अतिशययुक्त है। लोग बच्चों का चोल-कर्म (बाल उतरवाना ), कर्ण छेदन आदि यहीं कराते हैं। उनकी मनोकामनाएँ भी पूर्ण होती हैं । अजैन लोग भी उन्हें पूजते हैं। रोज लोग आते रहते हैं । धातु की प्रतिमाएँ काफी संख्या में हैं। उसमें धर्मदेवी, ब्रह्मदेव आदि भी हैं । सामने मानस्तंभ है। सन्निकट ही धर्मशाला है । जलवायु अच्छा है। सुना जाता है कि तामिल भाषा के 'तिरुक्कलंबकं' नामक ग्रंथ की रचना यहीं हुई थी। साधुओं के लिए यह अति योग्य स्थान है। शांति से जप-तप अनुष्ठान कर सकते
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