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और र' विद्यमान है, प्रकारान्तर से हर काव्य में मन्त्र छुपा हुआ है ।" यह चर्चा काव्यों के साथ दिये हुए पृथक् मन्त्र संबन्धी न होकर प्रत्येक काव्य की निजी मन्त्र शक्ति संबंधी है । मन्त्र का फल कहीं काव्यार्थ से निरपेक्ष है तो कहीं सापेक्ष एक निश्चित क्रम से व्यवस्थित अक्षरों के समूह का विधिवत् शुद्ध जाप करने पर कोई ऊर्जा प्रस्फुटित होती है, जिसकी कार्यक्षमता अद्भूत होती है। यही ऊर्जा मन्त्र शक्ति है। तत्संबन्धी संस्मरणों की एक पुस्तक बन सकती है । जप की सफलता एकाग्रता, पुण्य ओर साहस पर निर्भर है । प्रत्येक काव्य आवश्यकतानुसार किसी भी काव्यकी एक माला प्रातःकाल नियमित फेरी जा सकती है । मन्त्र शक्ति का सर्वत्र प्रयोग करना अनुचित है। जहाँ तक बने, विपत्ति में समता धारण करें ।
प्रकाशित संस्करणों के आधार पर प्रत्येक काव्य की मन्त्र शक्ति का उल्लेख किया जाता है - काव्य क्रमांक
कार्य सर्वविघ्न विनाशक मस्तक पीड़ा नाशक सर्वसिद्धि दायक जलजन्तु-भयमोचक नेत्र रोगहारक . विद्याप्रसारक क्षुद्रोपद्रव निवारक सर्वारिष्ट योग निवारक अभीप्सित-फलदायक/सप्तभय संहारक कूकर विष निवारक आकर्षक कारक/वांछापूरक हस्तिमद निवारक/वांछितरूपदायक संपत्तिदायक/शरीर रक्षक आधि/व्याधिनाशक सम्मान-सौभाग्य-संवर्धक सर्व-विजय-दायक सर्वरोग निरोधक शत्रु सैन्य स्तंभक उच्चाटनादि रोधक संतान-संपत्ति-सौभाग्य दायक सर्वसुख-सौभाग्य-साधक
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