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मटुपट्टीमलै :- यह मदुरै से ३ कि.मी. पर है । यहाँ मूर्तियां नहीं है । बीस शय्यायें हैं । एक लम्बी गुफा है। उसमें साधुओं के शयन के लिए शयनागार है। यहाँ पर श्रमण साधुगण रहकर तप किया करते थे।
करलीपट्टीमलै :- यह नागमलै के पश्चिम में ५ कि.मी. पर है। चट्टान पर दो प्रमिमायें उत्कीर्ण है । महावीर स्वामी की एक पद्मासन प्रतिमा है , चालीस शय्यायें हैं । एक विशाल गुफा है और एक छोटी गुफा है जो सुन्दर चट्टान पर बनाई हुई है। यहाँ मुनिराज आसीन होते रहते होंगे।
सिद्धर्मले :- इस नाम से पता चलता है कि श्रमण साधुगण यहाँ रहते थे। इसमें गुफायें और पत्थर की शय्यायें हैं। यहाँ सात समुद्र नाम का एक जलाशय है । इसको मेटुपट्टी पहाड़ भी कहते हैं।
समणमलै :- यह मदुरै से १८ कि.मी. पर है। यहाँ का पहाड़ पूर्व-पश्चिम की ओर है। इस एगड़ पर इधर-उधर सब जगह तीर्थंकरों की प्रतिमायें बनी हुई है। इसका अपर नाम अमणर्मलै है। तामिल भाषा में निर्वाण के इच्छुक जैन साधु को अमण कहते है। अमण कहें या श्रमण कहें दोनों एक ही है। इसके पास आलंपट्टी और मुत्तिपट्टी नाम के दो गाँव हैं । इनके पास पहाड़ पर पश्चिम की
ओर 'पंचवरपडुक्कै' पाँच लोगों की शय्या नाम का एक स्थान है। यहाँ की चट्टान में पत्थर की शय्यायें खोदी हुई हैं। ये साधु महात्माओं के लिए रही होंगी ।यह जगह गुफा के समान है। यहाँ पर ब्राह्मीलिपि का शिलाशासन है । यह ईस्वी पहले का है। इन शय्याओं के पास एक पीठ पर जिन भगवान् की प्रतिमा खोदी हुई है। चट्टान के पश्चिम में दो प्रतिमायें बनी हुई हैं। उसके नीचे तामिल शासन है। यह ईस्वी दसवीं सदी का है ।
इस श्रमण पहाड़ के दक्षिण-पश्चिम की ओर एक गुफा है । इसके बायीं ओर चट्टान पर तीर्थंकर भगवान् की प्रतिमा बनी हुई है। इस प्रतिमा के नीचे तामिल शासन है। वह ई. दसवीं सदी का है। गुफा के अन्दर चन्द्राकार चट्टान पर पाँच मूर्तियाँ हैं । एक शासन देवी है। दूसरी ब्रह्मदेव यक्ष की है। इसके बगल में छत्रत्रय के साथ तीन तीर्थंकर प्रतिमायें हैं। इसके नीचे तामिल भाषा का ई. दसवीं सदी का शासन है।
सेट्टिपोडुवु गाँव के पूर्व में समणमलै पर पेच्चिपल नाम का स्थान है। यहाँ के छोटे पहाड़ पर पंक्ति के रूप में तीर्थंकर भगवान् की प्रतिमायें बनी हुई हैं । इसके नीचे तामिल शासन है । ये ई. आठवीं या नौवीं सदी के हैं ।
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