________________
श्रमण संस्कृति के इतिहास के कई अवशेष तमिलनाडु में अनेक जगहों पर स्थित है । आज यदि तमिलनाडु के सारे मन्दिरों, गुफाओं एवं क्षेत्रों का जीर्णोद्धार करना है तो कम से कम दो करोड़ रुपयों से अधिक व्यय होगा । श्री निर्मलकुमारजी सेठी की प्रेरणा एवं चेन्नई ब्रांच महासभा के (श्री एम. के. जैन जी, श्री प्रकाशचन्दजी जैन, श्रीनिवासजी बड़जात्या, ताराचन्दजी पहाड़िया, पदमचन्दजी धाकड़ा, एम. के. धाकड़ाजी, राजकुमारजी, जयचन्दजी, अनिलजी, एम. के. झाझरीजी आदि) पदाधिकारियों के उत्साह, लगन, शुभ भावना एवं कार्य कुशलता के सहयोग से दो साल के अन्दर कम से कम २२-२३ मन्दिरों (तिरुमले, चित्ताईमूर, पेरमण्डूर, कीलसातमंगलं, कीलएडयालम, वालपन्दल, तोरपाडी, मेलअत्तिपाक्कम, नावल्ल, एयिल, सैदापेटै-आरणी, कुन्नत्तूर, एन्नायरम्मलै, नल्लवनपालयम, कडलूर-ओटी, वल्लीमलै, तच्चूर, कोलपतूर, देसूर, वल्लोड-ईरोड, करन्दै, अम्बत्तूर-चेन्नई, वेम्बाक्कम आदि ) के जीर्णोद्धार का कार्य पूर्ण होकर उनकी पूजा पाठ भी निरन्तर चल रहा है । वर्तमान समय में भी आठ-दस मंदिरों का जीर्णोद्धार कार्य चल रहा है। इन मन्दिरों के जीर्णोद्धार के कार्यों में तीर्थ संरक्षणी महासभा के सहयोग के साथ-साथ तीर्थ क्षेत्र कमेटी, मुंबई एवं श्रवणवेलगोला के परम पूज्य जगद्गुरु कर्मयोगी स्वास्ति श्रीचारुकीर्ति भट्टारक स्वामीजी का और धर्मस्थल के धर्माधिकारी पद्मभूषण डॉ. श्रीवीरेन्द्र हेगड़ेजी का भी अच्छा सहयोग मिला है और मिल रहा है।
भगवान् से प्रार्थना है कि तीर्थ संरक्षणी महासभा का कार्य निरन्तर चलता रहे । भारत भूमि में स्थित सभी मन्दिरों का जीर्णोद्धार कार्य शीघ्र संपन्न हो, इसके लिए धर्मनिष्ठ श्रीमान् निर्मलकुमारजी सेठी एवं अन्य सभी पदाधिकारियों को भी तन-मन-धन एवं आरोग्य, दीर्घायु, आत्मशांति प्राप्त हो । तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में होने वाले १७ मार्च २००१ तीर्थ संरक्षणी महासभा का अधिवेशन सुसंपन्न हो, यही हमारा शुभाशीर्वाद है ।
धर्मो रक्षति रक्षतः !
स्वस्ति श्री धवलकीर्ति भट्टारक स्वामीजी श्री क्षेत्र अर्हन्तगिरी दिगम्बर जैन मठ,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org