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१७४ प्रमाद छोड़ो और मनुष्य जन्म सार्थक करो ! दुष्ट प्रमाद हि दुर्गतिमें ले जानेमें वडा तस्कर समान है, जीसें चेतो!
२२ चार महाविगयका अवश्य त्याग होताही है। २३ आइस्क्रीम, बरफ, वगैरह परसें ममत छोड़ दो।
२४ आपके बच्चोकों अफीम और वालागोली के व्यसनोंसे छुड़ाओ।
२५ कच्ची मीट्टी, कच्चा नमक का त्याग करो। २६ प्रमाद छोड़के अचित्त नमक तैयार करके वापरो।
२७ रात्रि भोजनका आप त्याग करो, जीससे आपके पुत्रादि आपके अनुकरण करें।
२८ तील, खसखसका त्याग करो।
२९ बोलका अचार आदिके स्वाद छोडो और छुडाओ ( वास्तविक, स्त्रीओं ही ऐसी अनेक चीजें विचित्र प्रकार की बनाकर पुरुषोंको रसेन्द्रियका आधिन करती है।)
३० विदलका खास उपयोग रखो, क्यों कि उसमें आपका ही उपयोग काम आ सकता है। यह आपके हाथकी बात है। कभी पुरुष विरतिवंत न होवे, तो भी आप उनको ऐसे दोषों में से अटका सकते हो।
३१ बेंगन आदि शाक करने का त्याग करो। ३२ बोर खानेका त्याग करो।।
३३ विकथाका भी त्याग करो "क्षण लाखेणी जाय" जरा विचारो । धर्मकायमें प्रवृत्त हो जाव ।
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