SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 85
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पर्वमाला वासुपूज्य जिनबिंबनी, पूजा करो त्रण काल, देव वंदो वळी भावशुं, स्वस्तिक पर्यविशाल... ८... ओ तप जे सही आदरे, पहोंचे मनना कोड, मनवांछित फळे तेहना, हंस कहे कर जोड... ६... [ ४ ] तप करिये रोहिणी तणो, स्थिर करी मनं वच काय, पूजो जिनवर बारमां वासुपूज्य जिनराय ... १... रोहिणी नक्षत्रने दिने, चोविहार उपवास, पूजा अष्ट प्रकारनी, वास क्षेप वली खास...२... सगवीस लोगस्स काउसग, कीजे मनने रंग, सात वर्ष सात मासनो, कीजे तप अभंग...३... स्वस्तिक सगवीस कीजीये, धरिये शीयल जगीश, आरंभ सघलो छांडीने, नोकारवाली वीश... ४... पद्मप्रभु जिनराजजी, भाख्यो ओ अधिकार, पुन्य हेते भवि प्राणीया, कोर्त्तिचंद्र जग सार... ५... वर्धमान तपना चैत्यवंदनो [ - १] (१) वर्धमान जिनपति नमीं, वर्धमान तप नाम, ओळी आंबिलनी कहुं, वर्धमान परिणाम... १... अकादि आयत शत्, ओळी संख्या थाय, कर्म निकाचीत तोडवा, वज्र समान गणाय...२... चौद वरस त्रण मासने, उपर दिन वली वीश, यथाविधि आराधतां धर्मरत्न पद इश३... For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003634
Book TitleChaityavandan Parvamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAbhinav Shrut Prakashan
Publication Year
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy