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पर्वमाला
सिद्धारथ कुल नभ विषे, त्रिशला सुत वंदन करो,
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इन्दु रूप जिनराज, मेळवावा शिव साज... १... गुणगणथी भरिया,
सात हाथ परिमाण देह,
भोग तजी संजम ग्रयुं, नाण केवल वरिया...२... त्रीस वरस संसारमा, साडा बार पर्याय;
संजम ने केवल तणो, साडी ओगणत्रीस थाय...३... आव्या अपापा नयरीओ, कर्यु अंतिम चोमास, सोल पहोर देइ देशना, तार्या नृपवर खास...४... शुभाशुभ विपाकना, पचपण पचपण जाण, मारूदेव अध्ययनतणा, ध्याने शिव प्रयाण.. ५... अमावास्या भली कार्तिकी, देवानंदा रात,
चार घड़ी बाकी रहो, मेळव्युं अनंत सात... ६... भाव दीपक गयो जगथकी, द्रव्य दीपक करीओ, नव मल्ली नव लच्छकी, नृपति मनधरी ओ... ७... दीपक ज्योत प्रगटावतां, थयुं दिवाली पर्व, ते दिन वीर ध्याने करी, लब्धि वरे शिवशर्म... ८... [६]
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सोल पहोर देइ देशना, अढार भेदे भावे भणी, देशना देता रयणीओ, परण्या शिवराणी...२...
मगध देश पावापुरी, प्रभु वीर पधार्या, भविक जोवने तार्या...१... अमृत जेवी वाणी,
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