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चंत्यवन्दन
तीर्थ सिद्ध असिद्ध सिद्धा, भेद पंच दशादिकं, सर्व कर्म विमुक्ति चेतन, नमो सिद्ध निरंजनं.१० चंद्र सूर्य दीप मणि की, ज्योति तेने ओलंगिकं, तज्ज्योतिथी कोइ अपर ज्योति, नमो सिद्ध निरंजनं.११ अकमांहि अनेक राजे, नेकमांहि अककं, अक नेककी नहि संख्या, नमो सिद्ध निरंजनं.१२ अजर अमर अलख अनंत, निराकार निरंजनं, परब्रह्म ज्ञान अनत दर्शन, नमो सिद्ध निरजन१३ अचल सुखकी लहरमां, प्रभु लीन रहे निरंतरं, धर्म ध्यानथो सिद्ध दर्शन, नमो सिद्ध निरंजनं.१४ ध्याने धूपं मने पुष्पर्च, पंचे इंद्रि हुताशनं, क्षमा जाप संतोष पूजा, पूजो देव निरंजन,१५ तुम्हे मुक्तिदाता कर्मघाता, दीन जाणी दया करो, सिद्धार्थ नंदन जगत वंदन, महावीर जिनेश्वरं.१६ D सात, आठ गाथा नुत्रीजु चरण गाथा छ प्रमाणे छे सुज्ञो) तपासवु
[४] अजर अमर अकलंक अरुज, निरज अविनाशी, सिद्ध सरूपी शकरो, संसार उदासी...१... सुख संसारे भोगवी, नहीं भोग विलासी, जीति कर्म कषायने, जे थयो जितकाशी...२... दासी आशी अवगणीओ, समीचिन सर्वांग, नय कहे तस ध्याने रहो, जिम होय निर्मल अंग...३...
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