________________
पर्वमाला
[२६] चौद रत्नपति जेहना, प्रणमे पद आवी, चौद विद्याना थया जाण, संयम श्री भावी...२... चौद राज शिर उपरे, सिद्धि सकल गुण खाण, ज्ञानविमल प्रभु ध्यान थी, होय अचल अहिठाण...३...
चौद भुवन वश कारणे, विद्या वर्धमान, वर्धमान सुख आपवा, अहिज परम निधान...१... वर्धमान जिनराजनु, करो भविका ध्यान, चौद भेद छ जीवना, ओ यतना प्रधान...२... चौद पूर्व नो सार छे चौदिशी जिनराज, ज्ञानविमल थो जाणोओ, अहना सकल दिवाज...३..
[६] सकल अर्हत् प्रणमुं सदा, चतुरदशी सुखकार, उत्कृष्टा अढीद्विपमां, पन्नर क्षेत्र मोझार...१... अकसो सित्तेर जिनवरा, जघन्य पदे वली वीश, सीमंधर आदे सदा, नित्य नमावू सीस...२... दक्षिण भरते वंदिओ, ऋषभ अजित अरिहंत, सम्भव अभिनंदन वली, सुमति पद्म महंत...३... श्री सुपार्श्व चंद्रप्रभु, सुविधि शीतलनाथ, श्री श्रेयांस जिनेश्वरु, वासुपूज्य विख्यात...४ विमल अनन्त वन्दु सदाधर्म शांति उर धार, कुंथु अर मल्ली प्रभु, मुनिसुव्रत मनोहार...५... नमी नेमि प्रमु पासजी, चोवीसमा श्री वीर, .. चौतीस अतिशय ओपतां, पेंतीस गुण गम्भीर...६...
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org