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चैत्यवन्दन सुविधि जिनेनर जनमीया, संभव केवल नाण, दीक्षा कुंथुजिन गृहे, चंद्रप्रभ चवन कल्याण...२... पंचमी तप वली कीजिओ, पंच वरस पंच मास, जाव जीव लगी जे करे, पामे ज्ञान उल्लास...३... आगम पांच प्रकारनां, सूत्र नियुक्ति सार, टीका भाष्य ने चूरणी, पंचम अंग मोझार...४... छंडे पंच प्रमाद ने, पंचमी गति लहे तेह, वीर प्रभु मुज दीजीओ, कीर्तिचंद्र शिव गेह...५...
अष्टमीना चैत्यवंदनो
[१] शासन नायक समरिओ, वर्धमान जिनचंद, अष्टमी तिथि ने वर्णवं, ध्यावो मन आणंद...१... ऋषभ जन्म दीक्षा प्रभु, शीतल च्यवन जिणंद, अजित सुमति नमीनाथजी जन्म्या तिथि आणंद...२... संभव ने सुपासजी, च्यवन कल्याणक जाण, अभिनंदन नेमि पास जिन, पाम्या पद निर्वाण...३... मुनिसुव्रत अष्टमी तिथे, जन्म्यां जिनवर श्याम, इत्यादिक द्वादश कह्या, कल्याणक शुभ काम...४... पर्व तिथे पोसह करो, आणी मन अंक तार, अष्ट कर्म मद मोडवा, सेवो तिथि सार...५... सुजश राजानी परे, सेवो धरी बहु प्यार, रिद्धि सिद्धि बहु पामशो, सेवो तमे नर नार...६...
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