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चैत्यवंदन संग्रह कोडाकोडी वीश वली, उपर छयासी क्रोड, अडसठ लाख हजार पांच, षट् शत उपर जोड...४... ओ पद द्वादशांगो तणा, गणधर लब्धि जोगे, अंतर मुहुरतमां रच्या, क्षय उपशम संजोगे...५... चार हजारने चारशें, सहु गणधर परिवार, दीपविजय कविराज ते, वंदे वार हजार...६...
श्री अरनाथ भगवंतना चैत्यवंदनो नगर गजपुर पुरंदर पुर, शोभया अति जित्वरं, गज वाजि रथ वर कोटि कलितं, इंदिराभृत मंदिरं, नरनाथ बत्रीस सहस सेवीत चरणपंकज सुखकरं, सुर असुर व्यंतरनाथ पूजोत, नमो श्री अर जिनवरं...१ अप्सरा सम रूप अद्भुत, कला यौवन गुणभरी, अक लाख बाणुं सहस उपर, सोहीजे अंतेउरी, चोराशी लख गज वाजी स्यंदन, कोटि छन्नु भट वरं.सुर.२ सग पणिदी सग अगिदी, चौद रत्नशं शोभितं, नवनिधानाधिपति नाकी, भक्तिभावभूतैनतं, कोटि छन्नु ग्रामनायक, सकल शत्रु विजित्वरं.सुर.३ सहस अष्टोत्तर सुलंछन, लक्षित कनकच्छवि, चिन्ह नंदावर्त्त शोभित, स्वप्रभानिजित रवि, चक्री सप्तम भुक्तभोगी, अष्टादशमो जिनवरं.सुर.४ लोकांतिकामर बोधितो जिन, त्यक्त राज्यरमाभरं, मृगशिर अकादशी शुक्ल पक्षे, गृहित संयम सुखकरं, अरनाथ प्रभु पद पद्म सेवा, शुद्धरूप सुखाकरं सुर.५
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