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चैत्यवंदन संग्रह
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सर्वोपद्रव नाशतः,
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सर्वत्र कुरु में रक्षां जयं च विजय सिद्धि, कुरु शीघ्र कृपानिधे ...३... त्वन्नामस्मरणाद् देव, फलतु मे वांछित सदा, दूरीभवन्तु पापानि, मोहं नाशय वेगतः... ४... ॐ ह्रीं अहं महावीर, मंत्र जापेन सर्वदा, बुद्धिसागर शक्तिनां, प्रादुर्भावो भवेद् ध्रुवम्... ५... (१०) वर्धमान जिनवर धणो, प्रणमुं नित्यमेव, सिद्धारथ कुल चंदलो, सुर निर्मित सेव...१... त्रिशला उदर हंस सम, प्रगट्यो सुखकंद, केशरी लंछन विमल तनु, कंचनमय वृंद...२... महावीर जगमां वडो ओ, पावापुरी निर्वाण, सुर नर भूप नमे सदा, पामे अविचल ठाण...३... (११) श्री सिद्धारथ नृप कुलतीलो, त्रिशला मात मल्हार, हरि लंछन तनु सात हाथ, महिमा विख्यात... १ त्रीस वरस गृहवास छंडी, लीओ संयम भार, बार वरस छद्मस्थ मान, लही केवल सार... २ त्रीस वरस ओम सवि मलीओ, बहोंतेर आयु प्रमाण, दिवाली दिन शिव गया, कहे नय ते गुणखाण... ३ (१२) वंदु जगदाधार सार, शिवसंपत्ति कारण, जन्म जरा मरणादि रूप, भव ताप निवारण... १...
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