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चैत्यवंदन संग्रह अचिरा उर सर हंस जिम, जिनवर जयकारी, मारी रोग निवारी ने, कत्ति विस्तारी...२... सोलमा जिनवर शांतिनाथ,नित उठो नामी शिष, सुर नव भूप प्रसन्न मन, नमतां वाधे जगीश...३...
सोलमा जिनवर शांतिनाथ, सेवो शिर नामी, कांचन वरण शरीर कांति, अतिशय अभिरामी... अचिरा अंगज विश्वसेन, नरपति कुलचंद, मृग लांछनधर पद कमल, सेवे सुर वृद...२... जगमां अमृत जेहवीओ, जास अखंडित वाण, अक मने आराधतां, लहीले कोडि कल्याण...३...
शांतिकरण प्रभु शांति जिन, अचिरा राणी नंद, विश्वसेन राय कुल तिलक, अमिय तणो मे फंद...१... धनुष चालीशनी देहडी, लाख वरसनुं आय, मग लंछन बिराजता, सोवन सम काय...२... शरणे आव्यो पारेवडो, जीव दया प्रतिपाल, राख-राख तुं राजवी, मुजने सिंचाणो खाय...३... जीवथी अधिक पारेवडो, राख्यो ते प्रभु नाथ, देव माया धारण समे, न चल्यो मेघरथ राय...४... दयाथी दो पदवी लहो, सोळमा शांतिनाथ, पुन्ये सिद्धि वधु वर्या, मुक्ति हाथो-हाथ...५...
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