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सत्यपथ दर्शकं वचन रस वर्षकं,
चैत्यवंदन संग्रह
श्रोतृजन हर्षकं परम सेव्यम्...२...
सिद्धि समृद्धि सुख दायकं नायकं, विश्व जनहित करं परम पूज्यम्, निर्मला नंद रत्नाकरं शङ्करं,
नैमि तं ऋषभजिन वीतरागम् .. ३... श्री शांतिनाथ भगवंत ना चैत्यवंदनो [१] शांति जिनेसर समरतां, सुख थावे भरपूर, दिन-दिन आनंद अति घणो, वाधे वधतुं नूर... १... सात राज उंचा जइ, वसिया शिवपुर ठाण, शुभ नजरे करी साहिबा, दीजे दरिसण नाण...२... बारे भेदे तप वली, संजम सत्तर प्रकार, सोलमो जिन सेव्या थकी, कीत्तिचंद्र जयकार...३... [२] शांति जिनेसर साहिबा, सुखकारी सुखकंद, भेट्या भवभीति भगी, आज भयो आनंद... १... मूर्ति मोहन वेलडी, कामकुंभ सहकार, रत्नचितामणी सारीखो, दीठो तुम दीदार...२... अचिरा सुत त्रिभुवन तिलो, जगनायक जिनराज, धर्मविजय मोहे दीजिये, शिवरमणी महाराज...३... [३] दशमे भवे श्री शांति जिन, मेघरथ महाराज, पोसह लीधो प्रेम थी, आत्मस्वरूप अभिराम ... १...
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