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चैत्यवंदन संग्रह
अपापा नयरी वीरजी अ, कल्याणक शुभ ठाम, रूपविजय कहे साहिबा, अ पांचे आतमराम...३.
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धुर समरु. श्री आदिदेव, विमलाचल मंडण, नाभिराया कुल केशरी, मरुदेवी नंदन...१... गिरनारे गिरुवो वांदशें, स्वामी नेमकुमार, बालपणे चारित्र लीयो, तारी राजुल नार... बंभणवाडै वीर जिणंद, मनवंछित पूरे, सायण डायण भूत प्रेत, तेहना मद चूरे... श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, महीमाये महतो, गोडी दोडी जइ, पूरे मननी खंतो...४... चक्रवर्ती पदवी तजी, लीधो संजम भार, शांति जिनेसर सोलमा, नित नित करू' जुहार...५... पंचे तेरथ जे नमे, प्रह उठी नरनार, कमलविजय कवि इम कहे, तस घर जय जयकार...६...
विमलाचल गीरि वंदिये, आदिनाथ अरिहंत, रैवत गीरि राजे सदा, ब्रह्मचारी भगवंत.. आबू तीरथ अति भलो, भेट्या लहे भवपार, जिन चोवीशे वंदिये, अष्टापद श्रीकार...२... समेतशीखर गीरि उपरे, सिध्या जिनवर वीश, वासुपूज्य चंपापुरी, आपे पदवी जगीश...३... पावापुरी श्री वीरजी, भवदुःख भंजनहार, चैत्य नम जिनराजनां, तीनहि लोक मोझार...४...
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