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पुंडरिकस्वामी का चैत्यवंदन आदीश्वर जिनरायनो, पहेलो जे गणधार
पुंडरीक नामे थयो, भविजनने सुखकार....१.... चैत्री पुनमने दिने, केवलसिरि पामी
इणगिरि तेहथी पुडरिक, गिरि अभिधां पामी....२.... पंच कोडि मुनिशुलह्या, करो अनशन शिवठाम
ज्ञान विमल कहे तेहना, पय प्रणमा अभिराम...३.... जंकिची नमुत्थुणं जावंती-खमासमण जावंत नमोऽहत्
पुंडरिकस्वामी का स्तवन धन धन पृडरिक स्वामोजी, भरत चक्री नृप नंद रे, दीक्षा ग्रहि प्रभु हाथथी, पूजीत गणधर वद रे....धन....१ आदि जिन वचन कमल थकी, निसुणी सिद्धाचल महिमा रे । आव्या गिरिवर भेटवा, विस्तार्यो तीर्थनो महिमा रे....धन....२ पावन पुरूष पसायथी पृथ्वी पवित्र थइ जाय रे, तेहथी पुडरिक नामथी, आज लगे पूजाय रे....धन....३ पद्मासन प्रतिमा बनी, प्रभु सन्मुख सोहाय रे पूजा विविध प्रकारनी, करतां भवि समुदाय रे....धन....४ अवितह वागरणा कह्या, अजिन जिन संकाशा रे धर्मरत्न पद आपजो, मुज मन मोटी आशा रे....धन....५
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