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पुरव नवाणु वार पधारी, पाक कीधु जे भुमितलने दर्शन करता भव्यजीवोना, दूर करे अंतरमल मे त्रीजो आरो समरण करता, ऋषभदेव साक्षात् धरे
प्रणमुळे भावे ते पगलाने, पातिक मारा दूर करे''''२ रायण रूख तले बिराजी जगने, संदेश जे आपतां
आदीश्वर जिनरायना जे पगला पापो सवि कापता ऋषभसेन प्रमुख सेवी पगला, शाश्वत सुखे महालता बंदु एवा ऋषभ जिन पगला, जंजाल जाल जे टालता ... ३ रायण पगला का चैत्यवंदन आदि जिनेश्वर रायना, छे पगला मनोहार
भाव सहित भक्ति करे, पहोंचाडे भवपार....१..... रायण रुख तले बिराजी, दोए जगने संदेश
भवियण भावे जुहारीए, दूर करे संकलेश....२.... पगले पडीने विनवु, पूरजो मारी आश
ज्ञान तणी विनति सुणो, देजो शिवपद वास ....३.... जंकिची -नमुत्थुणं - जावंति - खमासमण - जावंत - नमोऽर्हत्
रायण पगला का स्तवन
जीनजी आदीश्वर अरिहंत के पगला इहां धर्या रेलोल आंकड़ी जीनजो पूर्व नव्वाणु वार के आवी समोसर्या रे लोल जीनजी सुरतरु सम सहकार के रायण रुअडा रे लोल ... १
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