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________________ उत्तरज्झयणाणि ७०८ परिशिष्ट ७: टिप्पण-अनुक्रम शब्द आदि टि० संख्या शब्द आदि टि० संख्या शब्द आदि टि० संख्या खलुंके (२७।३) ७ घोरपरक्कमा (१४ १५०) जत्थ तत्थ निसीयई (१७।१३) खिंसई (१७।४) घोरपरक्कमो (१२।२३) जन्न (२५॥ ४) खुडुए (३२।२०) घोरबओ (१२।२३) जमजन्नंमि (२५ । १) खुरधाराहिं (१९५६) घोरा मुहुत्ता (४६) जयं अपरिसाडियं (१३५) खेत्तं (३।१७) घोरासमं चइत्ताणं... (६।४२) जरोवणीयस्स (४१) खेमं (२३ । ८०) जलकते (३६ । ७६) खेयाणुगए (१५।१५) जवणट्ठाए (३५ । १७) खेलमि (८1५) चउदसरयण (११।२२) जवणट्ठाए (८/१२) खेल्लंति जहा व दासेहिं (८१८) चउकारणसंजुत्तं .. (२८1१) जवसं (७१) चउरिदिय (३६।१४५) जसो कामी (२२।४२) चंडाल (३।४) जहानायं (२३ । ३८) गंठिभेए (६२८) चंडालियं (११०) जहा न होई असुयाण लोगो... गंठियसत्ताईयं (३३। १७) चंपाए (२१।१) (१४८,६) गंड (८१८) चक्कवट्टी (१११२२) गंधणा (२२। ४३) जहाम8 (२५।२१) चक्खुस्स रूवं (३२।२३) गंधहत्थिं (२२। १०) जहा लाहो तथा लोहो (८१७) चक्खुफासओ (१३३) गग्गे (२७।१) जहा सुणी... (१४) चत्तारी कामखंधाणि (३/१७) गण (१५६) जहासुत्तं (३५।१६) चरमप्पमत्तो (४।१०) गणहरे (२७।१) जहासुहं (१७१) चरिया... (२१) गमिस्सामो (१४।२६) जहाहियं (२०१२३) चाउज्जामो पंचसिक्खिओ (२३ । १२) गरहणयाए (२६/८) जाइविज्जोववेया (१२।१३) चाउप्पायं (२०।२३) गलिगद्दहा (२७।१६) जाईजरामच्चु (१४।४) चाउरंतं (२६/२३) गलियस्स... (१९३७) चाउरते (११।२२,१६।४६) जायखंधे (११।१६) गलियस्स...आइण्णे (१।१२) चारित्तं (२८।३२) जायणजीविणु (१२।१०) गवल (३४ । ४) चिंता (२३। १०) जायाई (२५।१) गहणत्थं (२३।३२) चित्त ! धणप्पभूयं (१३ ॥१३) जायाए घासमेसेज्जा (८।११) गाढा य विवाग कम्मुणो (१०१४) चित्ता (६।१०) जाया य पुत्ता (१४।१२) गाणंगणिए (१७।१७) चीर.. (५।२१) जाव सरीरभेओ (४।१३) गामकंटगा (२२५) चेइए वच्छे (ENE) जिच्चा (२१) गामे पल्ली (३०।१६) जिणदिट्टे (२८।१८) गारत्था संजमुत्तरा (५।२०) जीवा गच्छंति (३४ । ६०) गारवाणं (३१।४) छउम (२१४३) जीवा चेव । (३६ । २) गारवेसु (१६।६१) छक्के आहारकारणे (३१।८) जीवाजीवविभत्ति (३६।१) गाहासोलसएहिं (३१॥ १३) छविपचाओ (५।२४) जीवाजीवा तहिया नव (२८।१४) गिद्धि (३२।२४) छाया (२८।१२) गिहिसुब्बया (७।२०) छिन्नं सरं भोमं.. (१५७) जीवियंतं तु संपत्ते (२२ । १५) गुणाणं तु सहस्साई (१६।२४) छन्नसोए (२१।२१) जीवो उवओगलक्खणो (२८।१०) गुणाणमासओ दव्वं (२८ । ६) छिन्नाले (२७।७) जुगमित्तं (२४।७) गुणोह... (१४।१७) छिन्नो (१६५४) जुवराया (१६२) गुत्तीओ (२४ । २०-१६) छेओवट्ठावणं (२८।३२) जे केई सरीरे...सव्यसो (६ ११) गुरुकुले (११।१४) जेट्ठामूले (२६ । १६) गुरुपरिभावए (१७।१०) जे संति... (५।२८) जइत्ता...भोइत्ता... दच्चा (६३८) गुरुविद्ध (३२१३) जोइसंगविऊ (२५॥७,८) जइ मुच्चेज्जा...पचए अणगारियं गेहिं सिणेहं (६४) जोगक्खेमं (७१२४) (२०१३२,३३) गोच्छगं (२६ । १३) जोगनिरोहं (२६/७३) जं किंचि (४७) गोपुरट्टालगाणि (६।१८) जंबू (११२७) जोगपच्चक्खाणेण (२६ । ३८) गोमेज्जए (३६७५) जक्ख-सलोगय (५।२४) जोगवं (११।१४) गोयं कर्म (३३ । १४) जक्खा (३।१४) जो मग्गे कुणई... (६।२६) गोयरम्ग (२।२६) जगनिस्सिएहिं... (८१०) जो सक्खं...धम्मं कल्लाण पावगं (२।४२) जणओ (२२८) जोगसच्चेणं (२६।५३) घयसित्त ब्व पावए (३।१२) जण्णट्ठी वेयस (२५ । १६) जोगेसु (३१।२०) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003626
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2006
Total Pages770
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size25 MB
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