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________________ ज्योतिषी में ४ ठिकाणां नां ऊपजे-तिथंच युगलियो १, संख्याता वर्ष नां सन्नी तिथंच पंचेंद्विय २, मनुष्य युगलियो ३. संख्याता वर्ष नां सन्नी मनुष्य ४ । १४५ ज्योतिषी में तिर्यंच युगलियो ऊपजै तेहनों यंत्र (१) गमा २०द्वार नी संख्या संघयण द्वार अवगाहना द्वार सवाण द्वार लेश्या द्वार दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार उपयोग उपपात द्वार जघन्य | उत्कृष्ट परिमाण द्वार जघन्य जघन्य उत्कृष्ट ६ गाऊ १२.३ उपजै ओधिक नै ओधिक अयपाव पल्य १पल्या १लाख वर्ष ओधिक नैं जघन्य अधपाव पल्य आधपाव पल्य | ओधिक नै उत्कृष्ट | १पल्य १ लाख १पल्य १लाख वर्ष संख्याता ऊपजै अपमनाराय धनुष्य समचौरंस पहली मिथ्या नियमा संख्याता १वज पृथक ६ गाऊ १२.३ ऊपज वर्ग उप अषम नाराच । समचौरंस पहली नियमा ४ अधपाद पल्य अपपाय पल्य १बज पृथक जयन्यन ओधिक 1xगमा टूटा अामनाराच अनुष्य जाझी समचौरस पहली मिथ्या नियमा १२.३ बज ऋषम नाराब | धनुष्य | गाऊ समचौरस मिथ्या नियमा उत्कृष्ट नै ओविक आपपाव पल्य १पल्य १ लाख वर्ष उत्कृष्ट न जयन्य अपपाद पल्ल उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट | १पल्य१लाख १पल्य१लाख वर्ष १४६ ज्योतिषी में मनुष्य युगलियो ऊपजै तेहनों यंत्र (२) गमा २० धार नी संख्या उपपात द्वार संघयण द्वार अवगाहना द्वार संठाण द्वार लेश्या द्वार | दृष्टिद्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योगद्वार उपयोग परिमाण द्वार जघन्य उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट जघन्य । उत्कृष्ट १२.३ ३ गाऊ १ | ओधिक नै ओधिक | अधपाच पल्य | १पल्य १ लाख वर्ष ओधिक नैं जघन्य अवपाद पत्य | अथपाव पल्य संख्याता ऊपजै १वज ६सी ऋषभ नाराच |धनुष्य जाझी १ समचौरंस पहली गिध्या |ओधिकनै उत्कृष्ट १पल्य १ लाख १पल्य १ लाख १गाऊ ३गाऊ संख्याता ऊपजे १वज पभनाराय कर्म ऊपज माझी समचौरंस पहली निध्या नियमा अधपाव पल्य | अधपाद पल्य ४ ५ जघन्य नै ओधिक x गमा टूटा |X गगा टूटा १२३ ऊपज संख्याता ऊपजे १वज ऋषभ नाराध | धनुष्य जाझी | धनुष्य जाझी समचौरंस पहली मिथ्या नियमा १२.३ संख्याता उत्कृष्ट नै ओधिक | अपधावपल्य | १पल्य १ लाख वर्ष उत्कृष्ट नै जघन्य आधपाय पल्प | अपपाव पल्य उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट १पल्य १ लाख १पल्य १ लाख १बज ऋषभ नाराच | गाऊ गाऊ । समचौरस पहली मिथ्या नियमा १४७ ज्योतिषी में संख्याता वर्ष नों सन्नी तिर्यंच पंचेंद्रिय ऊपजै तेहनों यंत्र (३) गमा २० द्वार नी संख्या परिमाण द्वार संघयण द्वार संठाण द्वार लेश्या द्वार दष्टिदार जान-अज्ञानदार योगद्वार उपपात दार उत्कृष्ट अवगाहना द्वार जघन्य उत्कृष्ट जघन्य १२३ ओषिक नै ओधिक| अपपाव पल्य ओधिक जघन्य अघपाव पल्य | ओधिक नै उत्कृष्ट १पल्य १ लाख वर्ष १पल्य१लास व अपपाव पल्य १पल्य१लास व आंगुलनों असंख भाग १हजार योजन रुपजे मजना जयन्यन ओधिक जघन्य जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट १पत्य १ लाख वर्ष अयपाव पल्य १पत्य लाख वर्ष असंख ऊपजे आंगुल्लों असंख भाग पहजार धनुष्य आपापल्या निध्या नियमा १पल्य १ लाख वर्ष उत्कृष्ट नै ओधिक अघपाव पल्य १पल्य १ लाख वर्ष | १२.३ उत्कृष्ट नै जान्य अधपाव पल्य अधपाव पल्य ऊपजै उत्कृष्ट में उत्कृष्ट | पल्य १ लाख वन १पल्य १ लाख वर्ष असंख ऊपज आंगुलनों असंखभाग १हजार योजन मजना भजना ३२८ भगवती-जोड़ (खण्ड-६) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003622
Book TitleBhagavati Jod 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages360
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size18 MB
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