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१३३ मनुष्य में नवमें आणत देवलोक नां ऊपजै तेहनों यंत्र (३७)
गमा २० द्वार नी संख्या
अव० उत्तर ०
सठाण
लेश्या द्वार | दृष्टिद्वार
ज्ञान-अज्ञान द्वार
योग द्वार
उपयोग
उपपात द्वार
परिमाण द्वार | संघयण द्वार जघन्य उत्कृष्ट| जघन्य
उत्कृष्ट
अव० भवधारणी जघन्य | उत्कृष्ट
उत्कृष्ट ।
मूल
क्रिय
संख्याता
अगंधयणी
|
आगुल नों असंखभाग
३ हाथ
ओधिक नै ओधिक|१पृथक्वर्व ओधिक नै जघन्य | पृथकवर्ष ओधिक उत्कृष्ट १कोडपूर्व
१शुक्ल | ३
| १ कोडपूर्व १पृथक वर्ष १कोडपूर्व
३नियमा | ३ नियमा
१लाख
नाना योजन | समचौरसा प्रकार
आंगुल नों संख भाग
ऊपजे
| १२.३
।
आंगुल नों
हाथ
१शुक्ल |
३
नियमा नियमा
३
४ जघन्य नै ओधिक पृथक वर्ष ५ जघन्य नै जघन्य | पृथकवर्ष ६ जघन्य नै उत्कृष्ट १कोडपूर्व
१कोडपूर्व १पृथक वर्ष १ कोडपूर्व
संख्याता | असंघयणी ऊपजे
आंगुल नौ । असंखभाग
| १लाख
योजन
ऊपजै
संख
। समचौरस
प्रकार
भाग
संख्याता
असंधयणी
आंगुल
आंगुल नौ । ३हाथ असंखभाग
उत्कृष्ट नै ओधिक पृथक वर्ष उत्कृष्ट जघन्य१पृथकवर्ष उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट ५ कोडपूर्व
| १लाख
योजन ।
१शुक्ल |
१कोडपूर्व । १.२.३ १पृथक वर्ष | ऊपजै १कोडपूर्व
३
नाना प्रकार
३ नियमा ३नियमा
सख
समचौरंस
भाग
१३४ मनुष्य में दशवें प्राणत देवलोक नां ऊपजै तेहनों यंत्र (३८)
गमा २०द्वार नी संख्या
अव० उत्तर ०
सठाण६
लेश्या द्वार | दृष्टिद्वार
झान-अज्ञान द्वार
योग द्वार उपयो
उपपात द्वार । परिमाण द्वार | संघयण द्वार
| उत्कृष्ट | जयन्य । उत्कृष्ट
अब भवधारणी जघन्य । उत्कृष्ट ।
जघन्य
उत्कृष्ट | मूल
असंघयणी
|
हाथ
आंगुल नों
नाना
१शुक्ल |
३
ओधिक नै ओधिक|१पृथकवर्ष ओधिक नै जघन्य (१पृथकवर्ष ओधिक नै उत्कृष्ट पकोडपूर्व
आंगुल नों असंख भाग
नियमा | ३ नियमा
१कोडपूर्व । १२.३ १पृथक वर्ष ऊपजे | १कोडपूर्व
| संख्याता
रूप
योजन । समचौरस
प्रकार
३
भाग
४
| असंधयणी
३हाथ
आंगुल नों
नाना
शुक्ल |
३
|३नियमा३नियगा | ३ |
२
जघन्य नै ओधिक पृथक वर्ग जधन्य नै जघन्य पृथकवर्ष जघन्य नैं उत्कृष्ट | कोडपूर्व
१कोडपूर्व । १२३ | संख्याता
पृथक वर्ष | ऊपजे ऊपज १कोडपूर्व
आंगुल नों असंख भाग
५
| १लाख
दोजन
संख
समीरंस
प्रकार
६
भाग
सख्याता
असायणी
३हाथ
आंगुल नों असंखभाग
३
१शुक्ल
३नियमा | ३नियमा |
३
|
उत्कृष्ट नै ओधिक पृथक वर्ष | १कोडपूर्व । १२३
उत्कृष्ट नै जघन्य | पृथकवर्ष | धक्व ऊपजे ६ उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट १ कोडपूर्व कोडपूर्व
२
आगुलनों । सख
१लाख योजन | समचौरस
प्रकार
भाग
१३५ मनुष्य में ग्यारहवें आरण देवलोक नां ऊपजै तेहनों यंत्र (३६)
गमा २०द्वार नी संख्या
उपपात द्वार
परिमाण द्वार
संघयण द्वार
अव भवधारणी
अव० उत्तर वै०
संठाण
लेश्या द्वार
दृष्टि द्वार
ज्ञान-अज्ञान द्वार
योग द्वार| उपय
जघन्य
उत्कृष्ट
जघन्य
उत्कृष्ट
जघन्य । उत्कृष्ट
जघन्य
उत्कृष्ट
मूल
असंघयणी
३ हाथ
नाना
|
ओधिक नै ओधिक पृथकवर्ष ओधिक * जयन्य १पृथकवर्ष अधिक नै उत्कृष्ट १ कोम्पूर्व
आंगुल नॉ] असंख माग |
शुक्ल
नियमा | ३ नियमा
|१कोहपूर्व | 'पृथकवर्ष १कोडपूर्व
। १२.३ | ऊपरी
आंगुल नौ संख्याता ।
संख्याता ऊप
लाख योजन
२ ३
समचौरंस
प्रकार
भाग
४
असंधयणी
हाथ
शुक्ल ।
३
जघन्य नै ओधिक पृथकवर्ष जघन्य नै जघन्य | पृथकवर्ष जघन्य नै उत्कृष्ट | १ कोडपूर्व
३नियमा | ३नियमा
|१कोडपूर्व
१पृथकवर्ष १कोडपूर्व
१.२३ ऊपजे
संख्याता ऊपजै
नाना | प्रकार
आंगुल नों। असंख भाग
आंगुलनों । १लाख संख्याता
योजन भाग
समीरंस
संख्याता
असंघयणी
हाथ
नाना
-
शुक्ल
३
३नियमा
नियमा ।
३
।
।
उत्कृष्ट नै ओधिक पृथक वर्ष
उत्कृष्ट नै जघन्य १पृथकवर्ष ६ उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट १ कोटपूर्व
१कोडपूर्व १पृचवर्ष १कोळपूर्व
आंगुलनों असख भाग
आंगुलनों संख्याता
१लाख योजन
ऊपजै
समचौरस
३२०
भगवती-जोड़ (खण्ड-६)
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