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________________ १०३ तिर्यंच पंचेंद्रिय में सातवें महाशुक्र देवलोक नां ऊपजै तेहनों यंत्र (३८) ३ संघयण द्वार ६ असंघयणी Former lovel ३०० गमा २० द्वार नी संख्या २ ३ गमा २० द्वार भी संख्या ५ ६ وا ८ ६ 10mm | ओधिक नै ओधिक ओधिक नैं जघन्य ओधिक नै उत्कृष्ट १ जघन्य नै ओधिक जघन्य नै जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट उत्कृष्ट नै ओधिक उत्कृष्ट नै जघन्य उत्कृष्ट नैं उत्कृष्ट २ 3 गमा २० द्वार नी संख्या 30 31 31 w ओधिक नै ओधिक ओधिक नैं जघन्य ओधिक में उत्कृष्ट जघन्य नै ओधिक जघन्य नै जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट उत्कृष्ट नै ओधिक उत्कृष्ट नै जघन्य उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट उपपात द्वार जघन्य १ अंतर्मुहूर्त १ अंतर्मुहूर्त १ को पूर्व १ अंतर्मुहूर्त १ अंतर्मुहूर्त १ कोड पूर्व १ अंतर्मुहूर्त १ अंतर्मुहूर्त १ कोड पूर्व जघन्य १ अंतर्मुहूर्त १ अंतुर्मुहूर्त १] कोडपूर्व १०४ तिर्यंच पंचेंद्रिय में आठवें सहस्रार देवलोक नां ऊपजै तेहनों यंत्र (३६) १ अंतर्मुहूर्त १ अंतर्मुहूर्त १] कोड पूर्व १ अंतर्मुहूर्त १ अंतर्मुहूर्त १ कोड पूर्व जघन्य ओधिक नै ओधिक १ पृथक मास ओधिक नै जघन्य १ पृथक मास ओधिक मैं उत्कृष्ट १ कोडपूर्व Jain Education International जघन्य नै ओधिक १ पृथक मास जघन्य नै जघन्य १ पृथक मास जघन्य नै उत्कृष्ट १ कोडपूर्व उत्कृष्ट उत्कृष्ट नै ओधिक १ पृथक मास उत्कृष्ट नै जघन्य १ पृथक गास उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट १ को पूर्व १ कोडपूर्व १ अंतर्मुहूर्त १ कोडपूर्व उपफत द्वार भगवती जोड (खण्ड-६) १ कोडपूर्व १ अंतर्मुहूर्त १ कोड पूर्व १ कोडपूर्व १ अंतर्मुहूर्त १ कोड पूर्व उत्कृष्ट १ कोडपूर्व १ अंतर्मुहूर्त १ कोडपूर्व १] कोडपूर्व १ अंतर्मुहूर्त १] कोड पूर्व १ कोडपूर्व १ अंतर्मुहूर्त १ कोड पूर्व १ कोडपूर्व १ पृथक मास १ कोडपूर्व २ परिमाण द्वार १.२.३ ऊपजै १ कोडपूर्व ૧૨.૩ १ पृथक मास ऊपजै १ कोडपूर्व १ फोडपूर्व १ पृथक मास १ योडपूर्व जघन्य १.२.३ ऊपजै २ उपपात द्वार परिमाण द्वार उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट १.२.३ ऊपजै १२.३ ऊपजै १२.३ ऊपजै जघन्य १२.३ ऊपजै १२.३ ऊपजै १२.३ ऊपजै ર परिमाण द्वार उत्कृष्ट संख या असंख ऊपजै संख्याता ऊपजै संख या असंख ऊपजै संख्याता ऊपजै संख या असंख ऊपजै संख्याता ऊपजै उत्कृष्ट संखया असंख ऊपजे संखया अख ऊपजै संख या असंखा ऊपजै मनुष्य में ४३ ठिकाणां ना ऊपजै-छह नारकी ६ दस भवनपति १६, पृथ्वीकाय १७ अपकाय २५ संख्याता वर्ष नां सन्नी मनुष्य २६, व्यंतर २७, ज्योतिषी २८. बारह देवलोक ४०, नौ ग्रैवेयक ४१ चार अनुत्तर विमान ४२, सर्वार्थसिद्ध ४३ । १०५ मनुष्य में प्रथम नरक नां नेरइया ऊपजै तेहनों यंत्र (१) 3 संघयण द्वार ६ असंघयणी असंघयणी असंघयणी असंघयणी असंघयणी 3 संघयण द्वार ६ असंघयणी असंघवणी असंघवणी ४ अवगाहना द्वार जघन्य आंगुल न असंख भाग आंगुल न असंख भाग आंगुल न असंख भाग आंगुल न असंख भाग आंगुल न असंख भाग आंगुल न असंख भाग जघन्य आंगुल न असंख भाग अव० भवधारणी जघन्य आंगुल न असंख भाग आंगुल न असंख भाग अवगाहना द्वार उत्कृष्ट उत्कृष्ट ७ ।। धनुष्य ६ आंगुल ४] हाथ २७ ।। धनुष्य ६] आंगुल ४ हाथ ७ ।। धनुष्य ६ आंगुल ४ हाथ उत्कृष्ट ४] हाथ ४ हाथ आंगुल न संख्याता भाग ५ संठाण द्वार ६ १ समधीरस आंगुल न संख्याता भाग १ समचौरस आंगुल न संख्याता भाग १ समचौरस ५ संठाण द्वार ६ १ समधीरंस १ समचौरंस अव० उत्तर वै० जघन्य उत्कृष्ट १ समचौरस १५ ।। धनु १२ आंगुल १५।। चनु १२ आंगुल १५।। धनु १२ आंगुल ६ लेश्या द्वार ६ For Private & Personal Use Only १ शुक्ल १ शुक्ल १ शुक्ल लेश्या द्वार ६ १ शुक्ल १ शुक्ल १ शुक्ल ५ संठाण द्वार ६ १ हुंडक १ क 19 दृष्टि द्वार ३ १ हुंडक ३ वनस्पतिकाय १५ तीन विकलेंद्रिय २२ असन्नी तिर्यचपंचेंद्रिय २३ संख्याता वर्ष नां सन्नी तिर्यंच पंचेंद्रिय २४, असन्नी मनुष्य ३ ७ दृष्टि द्वार ३ 3 १ कापोत १ कापोत 3 ३. ५ ३ नियमा -- 3 ३ नियमा ६ 19 लेश्या द्वार दृष्टि द्वार ६ १ कापोत ३ ज्ञान-अज्ञान द्वार 3 ३ नियमा ५ ३ नियमा ३ नियमा E ३ नियमा ज्ञान-अज्ञान द्वार ३ ३ नियमा ५ ३ नियमा ३ नियमा ३ नियमा ३ नियमा ३ नियमा ३ नियमा ३ नियमा ज्ञान-अज्ञान द्वार 3 ३ नियमा ३ भजना ३ भजना ३ नियमा ६ योग द्वार 3 3 ३ ३ योग द्वार ३ ३ 4 3 ३ 3 ६ योग द्वार उपयोग २ ३ उपयोग द्वार २. ३ 06 उपयोग २ २ www.jainelibrary.org
SR No.003622
Book TitleBhagavati Jod 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages360
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size18 MB
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