SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 296
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७६ तिर्यंच पंचेंद्रिय में तीसरी नरक वालुका-प्रभा नां जीव ऊपजै तेहनों यंत्र (३) गमा २०द्वार नी संख्या संघयण द्वार अवगाहना द्वार संठाणद्वार लेश्या द्वार | दृष्टिद्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योगद्वार उपयोग द्वार उपपात द्वार जघन्य उत्कृष्ट परिभाणद्वार जघन्य १२३ अपना नियमा | ओधिकनै ओधिक ओधिक नै जघन्य ओधिकनै उत्कृष्ट नियमा १अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहू १कोजपूर्व १कोडपूर्व अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व रापोत नील आगुतनों असंखभाग असंखऊपर ३ १२.३ असंभवी आंगुल नौ । २१॥धनुष्य कापोत ३नियमा जघन्य नै औधिक | जघन्य नै जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट | ३निषगा अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १कोडपूर्व १आर्मुहूर्त १कोहपूर्व संखया असंयसपने ६ १नील नियमा नियमा । ३ उत्कृष्ट नै ओधिक उत्कृष्ट नै जघन्य उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट । १अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १कोटपूर्व असंधयनी | आंगुल नों-मनुष्ण असंख भाग १कोडपूर्व १अंतर्मुही कोटपूर्व १२.३ ऊपजै सखया | असंख रूप ७७ तिर्यंच पंचेंद्रिय में चौथी नरक पंकप्रभा नां जीव ऊपजै तेहनों यंत्र (४) गमा २०द्वार नी संख्या संघयण द्वार अवगाहना द्वार संठाण द्वार लेश्या द्वार | दृष्टिद्वार शान-अज्ञान द्वार योग द्वार उपयोग उपपात द्वार जघन्य उत्कृष्ट परिमाण द्वार जघन्य जघन्य उत्कृष्ट ૧૨૩ असंघयणी ६२॥धनुष्य नील १हुंडक ३नियमा ओधिकनै ओधिक ओधिक जघन्य ओधिक नै उत्कृष्ट संखया असंख ऊपजे ३नियमा १अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व आंगुल नों असंखभाग १कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व | असंघवणी | नील ३नियमा जघन्य नै ओधिक जघन्य नै जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट १अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व | ३नियमा |१कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व संख या असंख ऊपज | आंगुल नो । २।।धनुष्य | १हुंडक असंखभाग ऊपजे १९डक नील ३ ३नियगा । ३नियमा । ३ उत्कृष्ट नै ओधिक उत्कृष्ट नै जान्य | उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट | १अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त कोडपूर्व । १कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १२.३ ऊपजे संख या असंख ऊपने असंघयणी | आगुलनों । साधनुष्य असंख माग ७८ तिर्यंच पंचेंद्रिय में पांचवीं नरक धूमप्रभा नां जीव ऊपजै तेहनों यंत्र (५) गमा २० द्वार नी संख्या परिमाण द्वार सिंघयन द्वार संठाण द्वार लेश्या द्वार | दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योगदार उपपात द्वार जघन्य | उत्कृष्ट अवगाहना द्वार जघन्य असंघयणी १हुडक २ कृष्ण नियमा नियमा ३ ओधिक नै औधिक ओधिक जघन्य ओधिक उत्कृष्ट १अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १कोउपूर्व १कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १२३ ऊप २ संखया असंख ऊप आंगुल नों| १२५ धनुष्य असंवभाग जीत १२.३ | असंघयणी नील पहुंडक नियमा | नियमा । ३ । | जघन्य नै ओधिक | जघन्य नै जघन्य जपन्य नै उत्कृष्ट १अंतर्मुहूर्त | १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व संखया असंख ऊपजे | आंगुल नों | १२५ पनुष्य असंख भाग . In | असंघयणी १हुंडक नियमा ३नियमा उत्कृष्ट ओधिका १अंतर्मुहूर्त उत्कृष्ट नै जघन्य | अंतर्मुहूर्त उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट | १कोडपूर्व १कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व ૧૨૩ ऊपजे आंगुलनों । १५ धनुषा असंखभाग | असंख रुपजे २८२ भगवती-जोड़ (खण्ड-६) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003622
Book TitleBhagavati Jod 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages360
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy