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________________ ७३ तीन विकलेंद्री में असन्नी मनुष्य ऊपजे तेहनों यंत्र (१२) गमा २०द्वार नी संख्या सघयणद्वार संठाण द्वार लेश्या द्वार दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञानद्वार योग द्वार उपयोगला उपपात द्वार उत्कृष्ट परिमाण द्वार जघन्य अवगाहना द्वार जघन्य उत्कृष्ट जघन्य १२.३ १छेवटो | पहुंडक ३पहली | १निध्या २नियमा ओधिक नै ओधिक १गमै जघन्य उत्कृष्ट आयु ओधिक जघन्य | २गरी जयन्य आयु. ओधिक उत्कृष्ट | ३ गमै उत्कृष्ट आयु में ऊपजै । संख या अरांख ऊपजै आंगुल नों । असंख भाग आंगुल नों| असंख भाग तिबंधपदिय में ३६ ठिकाणां ना ऊपजे-सात नरक, दस भवनपति १७, पांचरथावर २२. तीन विकलेंदिय २५, असन्नी तियेच पंचेदिय २६. सन्नी तिथंच पंचेंदिय २७, असन्नी मनुष्य २६. सन्नी मनुष्य २६. व्यंतर ३०, ज्योतिषी ३१. प्रथम आठ देवलोक ३६ । ७४ तिर्यंच पंचेंद्रिय में प्रथम नरक नां नेरइया ऊपजै तेहनों यंत्र (१) गमा २०द्वार नी संख्या सघयण द्वार संढाणद्वार लेश्या द्वार दृष्टिद्वार ज्ञान-अज्ञानद्वार योग द्वार उपपात द्वार जघन्य उत्कृष्ट परिमाण द्वार उत्कृष्ट अवगाहना द्वार जघन्य उत्कृष्ट ५ असंधयणी १कापोत ३नियगा ३भजना | ओभिक नै ओधिक | ओधिक नैं जघन्य ओधिक नै उत्कृष्ट १अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १योडपूर्व ३ १कोशपूर्व १ अंतर्मुहूर्त १ बोडपूर्व १२.३ ऊपजै सखया अरांस ऊपजै आंगुल नों असंख भाग ७धनुष्य उहाथ ६ आंगुल ३ असंघयणी पहुंडक १कापोत जघन्य नै ओधिक जघन्य नै जघन्य | जघन्य नै उत्कृष्ट ३निया अंतर्मुहूर्त १अंतर्गत १कोहपूर्व आंगुल नों असंख भाग १ कोडपूर्व १ अंतर्मुहूर्त १ कोडपूर्व संखया असंखऊपजे ऊपजे ६आगुल असंघयणी पहुंडक १कापोत ३नियमा | ३नियमा | ३ | | उत्कृष्ट नै औचिक अंतर्गत | उत्कृष्ट नै जघन्य | १अंतर्महर्त | उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट कोडपूर्व १ कोडपूर्व १अंतर्भूत १ कोडपूर्व संखया | असंख ऊपजै आंगुल नों असंख भाग ऊपजे ३हाथ ६आपुल ७५ तिर्यंच पंचेंद्रिय में दूसरी नरक नां नेरइया ऊपजै तेहनों यंत्र (२) गमा २० द्वार नी संख्या संघयम द्वार ज्ञान-अज्ञानद्वार योग द्वार उपयोग कर उपपात द्वार | उत्कृष्ट परिमाण द्वार जघन्य उत्कृष्ट ___अवगाहना द्वार | संठाण द्वार | लेश्या द्वार | जपन्य । उत्कृष्ट दृष्टि द्वार ३ १ | असंधयणी पहुंडक | १कापोत ३नियमा ३नियमा ओधिक ने ओधिक | अंतर्मुहूर्त ओधिक नैं जधन्य | अंतर्मुहूर्त ओधिक नै उत्कृष्ट | १ कोडपूर्व | १कोडपूर्व अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १२.३ कपजै संखया | असंख ऊपरी आंगुल नों | १५॥धनुष्य असंख भाग १२ आंगुल असंघयणी पहुंडक | कापोत ३नियमा | ३नियगा | ३ । जघन्य नै ओधिक | जघन्य नै जघन्य | जघन्य नै उत्कृष्ट १अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १,२.३ ऊपजै संखया असंख ऊपजे | आंगुल नों | १५ || धनुष्य | असंस भाग १२ आंगुल | असंघयणी हुंडक कापोत ३नियमा ३नियमा । ७ | उत्कृष्ट न ओधिक | उत्कृष्ट नै जघन्य ६ उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त अंतर्मुहूर्त पकोडपूर्व १कोडपूर्व | अंतर्मुहूर्त | कोडपूर्व १२.३ ऊपज संखया | असंखतपजे आंगुल नों असंख भाग ५। धनुष्य १२ आगुल २८० भगवती-जोड़ (खण्ड-६) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003622
Book TitleBhagavati Jod 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages360
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size18 MB
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