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________________ ६५ तीन विकलेंद्रिय में वाउकाय ऊपजै तेहनों यंत्र (४) गमा २० द्वार नी संख्या संघयण द्वार अवगाहना द्वार संठाण द्वार लेश्या द्वार | दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार उपपात द्वार जपन्य | उत्कृष्ट परिमाण द्वार जपन्य उत्कृष्ट उत्कृष्ट ३ बटो पताका ३पहली २नियमा | ओधिक नै ओधिक | १४.७ गरी जिण जिण औधिक नै जघन्य ठिकाणे ऊपजे तिण र ओधिक नै उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट आयु में ऊपजै। १काया १.२.३ ऊपजे आंगुल नो असंख भाग संखया असंख रूप शेवटी पताका पहली रनियमा जघन्य नै ओधिक २५० गमै जिन जिण जघन्य नै जघन्य |ठिकाणे ऊपजे तिणरे जघन्य नै उत्कृष्ट | जघन्य आयु में ऊपजे। संखया असंख ऊपज आंगुल नो असंख भाग विटो | मिथ्या उत्कृष्ट नै औधिक | ३.६.९ गमै जिण जिण उत्कृष्ट नै जघन्य | ठिकाणे ऊपजे तिणरै उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट उत्कृष्ट आयु में ऊपज । २नियमा | १काया संख या असंख ऊपजे आंगुल नो असंय भाग ६६ तीन विकलेंद्रिय में वनस्पतिकाय ऊपजै तेहनों यंत्र (५) उपपात द्वार परिमाण द्वार संघयण द्वार अवगाहना द्वार संठाण द्वार लेश्या द्वार दृष्टिद्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार गमा २०द्वार नी संख्या अन तेहनां नाम जघन्य उत्कृष्ट उत्कृष्ट उत्कृष्ट १ऐवटो आंगुल नो ४ पहली १मिथ्या नियम १काया ओधिक ओधिक ओधिक नै जघना ओधिक नै उत्कृष्ट १४.७ गमै जिण जिण ठिकाणे ऊपजै तिष जघन्य उत्कृष्ट आयु में ऊपजै संख या असंख ऊप ऊपजे नाना प्रकार १हजार योजन जाझो असंखभाग १ऐवटो | नाना १मिथ्या जघन्य नै ओधिक जघन्य नै जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट २नियमा । १काया २५८ गर्म जिप जिण ठिकाणे ऊपजै तिन जघन्य आयु में ऊप। संखया असंख ऊपजे आंगुल नो असंखभाग आंगुल नों असंखभाग १२.३ १वटो नाना ४ पहली | १निध्या रनियमा १काया उत्कृष्ट नै ओधिक ३.६.६ गम जिण जिण उत्कृष्ट नै जघन्य | ठिकाणे ऊपजे तिपरे | उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट उत्कृष्ट आयु में ऊपजे। आगुल नो असंखभाग ऊपजै असंख १हजार योजन जाडो प्रकार ऊपजे २७२ भगवती-जोड़ (खण्ड-६) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003622
Book TitleBhagavati Jod 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages360
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size18 MB
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