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६३ तीन विकलेंद्रिय में अपकाय ऊपजै तेहनों यंत्र (२)
गमा २० द्वार नी संख्या
उपपात द्वार
संघयण द्वार
अवगाहना द्वार
सठाण द्वार
लेश्या द्वार
| दृष्टि द्वार
ज्ञान-अज्ञान द्वार
योग द्वार | उपयोग
परिमाण द्वार जघन्य उत्कृष्ट
जघन्य
उत्कृष्ट
जघन्य | उत्कृष्ट
संखया
१ वटो
४पहली
थियुक
मिथ्या
२नियगा
१काय
औधिकनै औधिक १४.७ गर्न जिण जिण ठिकाणे औधिक जपन्य ऊपजै तिणजघन्य उत्कृष्ट ओधिक नै उत्कृष्ट| आयु में ऊपजै।
१२३ ऊपई
आंगुल नों असंख भाग
उपते
बटो
शिबुक
पहली
१मिथ्या
निवना
जघन्य नै ओधिक जघन्य जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट
१काय
२५-गमै जिण जिण ठिकाणे ऊपले तिण रै जघन्य आयु मैं ऊपजे।
आंगुल नों असंख भाग
संखया असंख ऊपजे
संखया
१छेदटो
४पहली
थिबुक
मिथ्या
नियमा
१काय
| उत्कृष्ट नै ओधिक ३.६.६ गमै जिण जिण
उत्कृष्ट+जधन्य ठिकाने ऊपजे तिण रै उत्कृष्ट उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट | आयु में ऊपज।
૧૨૩ ऊपजे
आगुलमों असख भाग
६४ तीन विकलेंद्रिय में तेऊकाय ऊपजै तेहनों यंत्र (३)
गमा २०द्वार नी संख्या
उपपात द्वार
परिमाण द्वार
संघयण द्वार
अवगाहना द्वार
संठाण द्वार
लेश्या द्वार
दृष्टि द्वार
ज्ञान-अज्ञान द्वार
योगद्वार| उपयोग
जघन्य ।
उत्कृष्ट
जघन्य
जधन्य । उत्कृष्ट
१शेवटो
अंगुल नो
सुधीकलाप
३पहली
|
मिथ्या.
.
२नियमा
संखया असंख
१काया
ओधिकनै औधिक १४७गमै जिण जिण ओधिक जयन्य ठिकाऊपजै तिन ओधिक उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्टआयु में ऊपजे
१शेवटो
|सुचीकलाप
पनिध्या
पहली
२नियमा
| जघन्य नै ओधिक | २५८ गमै जिण जिन जधन्य नै जघन्य ठिकाने ऊपजै तिपरै जयन्यन उत्कृष्ट | जघन्य आयुमै ऊपजै।
शंख या असंख
आंगुल नो असंख भाग
उपज
१२.३
संखया
१ऐवटो
सुधीकलाप |
| १मिध्या
२नियमा
| उत्कृष्टओधिक ३.६६ गमै जिण जिण | उत्कृष्ट जघन्य | ठिकापै ऊपजे तिण रे उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट | उत्कृष्ट आयु में ऊपजे।
आंगुल नो असंख भाग
ऊपर्व
असंख कप
२७०
भगवती-जोड (खण्ड-६)
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